ब्रिटेन: लंदन में दो दशक बाद गटर में मिला पोलियो वायरस, हाई अलर्ट घोषित
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने लंदन में गटर के सैंपल से पोलियो वायरस मिलने की जानकारी दी है। वायरस मिलने के बाद लंदन में हाई अलर्ट जारी कर दिया गया है। पोलियो वायरस ब्रिटेन से करीब दो दशक पहले ही खत्म हो चुका है। 2003 में ब्रिटेन को पोलियो मुक्त देश घोषित कर दिया गया था। इसके बाद कभी यहां पोलियो का मामला सामने नहीं आया था। इसलिए अब इस वायरस का मिलना एक चिंताजनक और बड़ी खबर है।
अभी तक किसी इंसान में नहीं मिला संक्रमण
कोरोना वायरस और मंकीपॉक्स के खतरे के बीच लंदन में यह पोलियो वायरस मिला है। WHO ने अपने बयान में कहा कि लंदन में गटर की जांच में लिए गए सैंपल में 'पोलियो वायरस टाइप-2 (VDPV2)' पाया गया है। उत्तर और पूर्व लंदन के कई सैंपलों में यह वायरस मिला है। हालांकि अभी तक यह किसी इंसान में इसके संक्रमण की पुष्टि नहीं हुई है। यूनाइटेड किंगडम स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी (UKSSA) ने इसे राष्ट्रीय घटना घोषित किया है।
पोलियो का इलाज है संभव
पोलियो इतिहास में एक बहुत खतरनाक बीमारी रह चुकी है, जिसने दुनिया के हजारो लोगों को लकवाग्रस्त किया और उनकी मृत्यु का कारण बना। यह एक छोटा RNA वायरस है जो हमारे तंत्रिका तंत्र पर हमला करता है और व्यक्ति लकवाग्रस्त हो जाता है। पोलियो जानवरों में नहीं पाया जाता और चेचक की बीमारी के तरह इसका भी इलाज किया जा सकता है। पोलियो संक्रमण से फैलने वाला रोग है और एक इंसान से दूसरे में फैल सकता है।
दो देशों में अभी भी स्थायी तौर पर मौजूद है पोलियो
पोलियो को खत्म करने में वैक्सीनें महत्वपूर्ण रही हैं। 2021 में दुनियाभर में पोलियो के 700 से कम मामले सामने आए थे। पाकिस्तान और अफगानिस्तान ऐसे देश हैं जहां पोलियो अभी भी स्थाई रूप से मौजूद है। अन्य देशों में पोलियो से निपटने के लिए उन्मूलन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। पोलियो कई दिनों तक सामान्य तापमान पर जीवित रह सकता है। यह कम स्वच्छता वाले और वैक्सीन तक कम पहुंच वाले क्षेत्रों में ज्यादा फैलता है।
1988 के बाद से आई पोलियो के मामलों में कमी
बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में पोलियो वायरस को पूर्ण रुप से खत्म करने के लिए व्यापक रूप से अभियान चलाया गया है। 1988 के बाद से पोलियो के मामलों में 99 प्रतिशत की कमी आई है। पहले 125 देशों में पोलियो का प्रकोप था और दुनिया भर में 3,50,000 मामले दर्ज किए गए थे। WHO के अनुसार, बच्चो के लिए पोलियो वायरस का कोई भी वेरिएंट खतरनाक साबित हो सकता है।