
कोरोना वायरस: सफल साबित होने के बाद फाइजर की वैक्सीन के वितरण में आएगी ये चुनौती
क्या है खबर?
फाइजर और बायोनटेक द्वारा तैयार की जा रही कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन संक्रमण से 90 प्रतिशत बचाव करने में सफल रही है।
हजारों लोगों पर हो चुके ट्रायल में वैक्सीन का कोई दुष्प्रभाव नहीं देखा गया है। इस महीने के अंत तक इसके इस्तेमाल की अनुमति पाने के लिए आवेदन किया जाएगा।
कंपनी के इस ऐलान के बाद इस वैक्सीन के वितरण को लेकर काम शुरू हो गया है, लेकिन इसकी राह में कई चुनौतियां भी तैयार खड़ी हैं।
प्रक्रिया
नियामकीय मंजूरी मिलने के बाद शुरू होगी वैक्सीन की डिलीवरी
नियामकीय मंजूरी मिलते ही दोनों कंपनियां इस वैक्सीन को सरकारों के पास भेजना शुरू कर देगी।
अलग-अलग देशों में सरकारों ने उन समूहों की पहचान कर ली है, जिन्हें प्राथमिकता से वैक्सीन की खुराक दी जाएगी। इन समूहों में स्वास्थ्यकर्मी और महामारी के खिलाफ अग्रिम मोर्चे पर डटे लोग शामिल हैं।
इन सब के बीच वैक्सीन को स्टोर करने के लिए जरूरी तापमान अमेरिका जैसे विकसित देशों के लिए भी चुनौती खड़ा कर रहा है।
चुनौती
वैक्सीन के स्टोरेज के लिए चाहिए -70 डिग्री तापमान
ऐसी स्थिति को देखते गरीब देशों और वहां के ग्रामीण इलाकों में, जहां स्टोरेज की व्यवस्था पर्याप्त नहीं हैं, वहां यह चुनौती और बड़ी हो जाएगी।
फाइजर और बायोनटेक की इस वैक्सीन के साथ मुख्य मुद्दा इसे रखने के लिए जरूरी तापमान से जुड़ा है।
इस वैक्सीन को -70 डिग्री सेल्सियस और इससे कम के तापमान पर स्टोर कर रखने की जरूरत है। अगर तापमान ज्यादा होता है तो इसके खराब होने का खतरा बना रहेगा।
स्टोरेज की चुनौती
अमेरिका के बड़े अस्पतालों में भी मौजूद नहीं ऐसी सुविधा
इस बारे में बात करते हुए जॉन्स हॉपकिन्स सेंटर फॉर हेल्थ सिक्योरिटी के सीनियर स्कॉलर अमेश अदाल्जा कहते हैं कि इस वैक्सीन के वितरण में कोल्ड चेन सबसे महत्वपूर्ण चुनौती होगी। उन्होंने कहा, "हर जगह के हिसाब से यह बड़ी चुनौती होगी क्योंकि बड़े शहरों के अस्पतालों में भी इतने कम तापमान पर स्टोर करने की सुविधा मौजूद नहीं है।"
यहां तक की अमेरिका के सबसे प्रतिष्ठित अस्पतालों में से एक मायो क्लिनिक में भी ऐसी सुविधा उपलब्ध नहीं है।
योजना
कंपनी वैक्सीन की डिलीवरी के लिए क्या योजना बना रही है?
फाइजर की प्रवक्ता किम बेंकर ने कहा कि उनकी कंपनी वैक्सीन की डिलीवरी और वितरण के लिए अमेरिकी सरकार और प्रांतीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही है।
कंपनी ने अमेरिका के अलावा जर्मनी और बेल्जियम में अपने डिस्ट्रीब्यूशन सेंटर बनाए हैं।
फाइजर और बायोनटेक ने इसके लिए जो योजना बनाई है, उसमें वैक्सीन की जमी हुई शीशियों को ड्राई आइस में रखकर हवा और सड़कों के जरिये एक से दूसरी जगहों पर पहुंचाया जाएगा।
चुनौती
ज्यादा तापमान पर सिर्फ पांच दिन सुरक्षित रहेगी वैक्सीन
बेंकर ने कहा कि -70 डिग्री सेल्सियस पर इस वैक्सीन को छह महीने तक सुरक्षित रखा जा सकता है। वहीं 2-8 डिग्री सेल्सियस पर यह 5 दिनों तक सुरक्षित रह सकती है, लेकिन इसके बाद खराब हो जाएंगी। इस तापमान वाले रेफ्रिजरेटर आसानी से उपलब्ध हो सकते हैं।
वहीं बायोनटेक के प्रमुख उगूर साहीन ने कहा कि कंपनी अब इस पर काम कर रही है कि ज्यादा तापमान पर वैक्सीन को दो सप्ताह तक रखा जा सके।
स्टोरेज
बाकी वैक्सीन्स को कितने तापमान की जरूरत?
अमेरिकी कंपनी मॉडर्ना इंक भी इसी टेक्नोलॉजी से कोरोना वायरस की संभावित वैक्सीन पर काम कर रही है, लेकिन इसे स्टोरेज के लिए इतने कम तापमान की जरूरत नहीं है।
इसी तरह जॉनसन एंड जॉनसन और नोवावैक्स की तरफ से तैयार की जा रही वैक्सीन को भी 2-8 डिग्री सेल्सियस पर स्टोर किया जा सकता है।
इस तरह की वैक्सीन की डिलीवरी, स्टोरेज और वितरण अपेक्षाकृत आसान होगा और विकल्प होने पर विकासशील और गरीब देश इन्हें ही प्राथमिकता देंगे।