
अमेरिका की फर्जी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले भारतीय छात्र लौट रहे हैं स्वदेश
क्या है खबर?
हाल ही में अमेरिका के होमलैंड सिक्योरिटी विभाग ने फर्जी यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने के आरोप में 129 भारतीय छात्रों को गिरफ्तार किया था। इस 'पे-टू-स्टे' घोटाला कहा गया था।
अब इस यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने वाले अन्य छात्र अमेरिका से भारत लौट रहे हैं। ये वे छात्र हैं जिन्हें हिरासत में नहीं लिया गया था।
हालांकि, अमेरिकी अधिकारियों ने हिरासत में लिए गए कुछ छात्रों को भी रिहा किया है, लेकिन उनके पैरों पर इलेक्ट्रॉनिक मॉनीटर लगाए गए हैं।
जानकारी
क्या था पे-टू-स्टे घोटाला
अमेरिकी अधिकारियों ने एक इस घोटाले का पर्दाफाश करने के लिए फर्जी यूनिवर्सिटी बनाई थी। आरोप है कि कई भारतीय छात्रों ने इस यूनिवर्सिटी में दाखिला ले लिया, ताकि वे स्टूडेंज वीजा के आधार पर अमेरिका में लंबे समय तक रुक सकें।
निर्वासन
भारत लौट रहे हैं छात्र
अमेरिका से भारत लौटने वाले छात्रों की संख्या का पता नहीं चला है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई छात्र समूहों में अमेरिका से लौट रहे हैं।
अटलांटा के अटॉर्नी के हवाले से यह रिपोर्ट सामने आई है। पहचान जाहिर नहीं करते हुए अटॉर्नी ने कहा कि हिरासत में नहीं लिए गए छात्रों के लिए भारत लौटना बेहतर विकल्प है। उनके निर्वासन को चुनौती देना भी बहुत फायदेमंद नहीं होगा।
फर्जी यूनिवर्सिटी
अधिकारियों ने रैकेट के पर्दाफाश के लिए बनाई थी फर्जी यूनिवर्सिटी
इस रैकेट का पर्दाफाश होमलैंड सिक्योरिटी इंवेस्टिगेशन (HSI) ने किया है।
इसके लिए HSI एजेंट्स ने 2015 में फर्जी फार्मिंगटन यूनिवर्सिटी की शुरुआत की थी।
इस मामले में पकड़े गए आरोपियों ने प्रवासियों को छात्र के तौर पर दिखाने और उन्हें अमेरिकी अधिकारियों की नजर से बचाने के लिए इस यूनिवर्सिटी में नामांकन किया।
आरोपियों ने सैकड़ों विदेशी प्रवासियों का झूठा शैक्षिक रिकॉर्ड बनाने और इमिग्रेशन से संबंधित दस्तावेज हासिल करने में मदद की।
आरोप-प्रत्यारोप
लंबा चला आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला
इमिग्रेशन अटॉर्नी ने जांच एजेंसियों द्वारा अपने फायदे के लिए गलत कदम उठाने का आरोप लगाते हुए कहा कि इन छात्रों को यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े की जानकारी नहीं थी और उन्हें जाल बिछाकर फंसाया गया है।
वहीं जांच अधिकारियों ने बताया कि छात्रों को इस फर्जीवाड़े की जानकारी थी और उन्होंने अमेरिका में रुकने की खातिर स्टूडेंट वीजा को बनाए रखने के लिए इस यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि छात्र जानबूझकर इस फर्जीवाड़े में शामिल हुए।