कनाडा में कौन लेगा जस्टिन ट्रूडो की जगह? अनीता आनंद भी प्रधानमंत्री की दौड़ में शामिल
क्या है खबर?
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने काफी समय से जारी आतंरिक कलह के बाद इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है, जिसके बाद अगले दावेदार की खोज शुरू हो गई है।
ट्रूडो ने प्रधानमंत्री के साथ और लिबरल पार्टी के नेता का पद भी छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि उत्तराधिकारी चुने जाने तक वह अपने पद पर बने रहेंगे।
इसके साथ ही देश की संसद 24 मार्च तक निलंबित रहेगी, जब तक लिबरल पार्टी नया नेता नहीं चुन लेता।
उत्तराधिकारी
मार्च से पहले ढूंढना है उत्तराधिकारी
ट्रूडो के इस्तीफे के ऐलान के बाद पार्टी ने उनकी जगह नया उत्तराधिकारी ढूंढना शुरू कर दिया है, जिसके लिए कई दावेदार सामने आए हैं।
चुना गया नया उम्मीदवार इस साल के अंत में होने वाले आम चुनावों में भाग लेगा, क्योंकि सामने आए कई सर्वेक्षणों से पता चलता है कि ट्रूडो हार सकते हैं और लोग उनको पसंद नहीं कर रहे हैं।
पार्टी को 24 मार्च से पहले उत्तराधिकारी ढूंढना होगा। समय-सीमा में अब केवल दो महीने बचे हैं।
दावेदार
कौन-कौन है प्रधानमंत्री पद के दावेदार?
ट्रूडो की जगह प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारों में अभी 4 नाम सामने आए हैं, जिसमें भारतीय मूल की अनीता आनंद (57) भी शामिल हैं।
अनीता परिवहन मंत्रालय संभाल रही हैं। उन्होंने पिछले 5 सालों में सार्वजनिक सेवा और खरीद, रक्षा और ट्रेजरी बोर्ड के अध्यक्ष सहित कई विभागों को संभाला है।
तमिल पिता और पंजाबी मां की संतान अनीता ऑक्सफोर्ड की प्रोफेसर रही हैं। अनीता 2019 में ओकविले से सांसद बनने के तुरंत बाद ट्रूडो मंत्रिमंडल में हुई थीं।
दावेदार
मेलानी जोली और क्रिस्टिया फ्रीलैंड भी दौड़ में
मेलानी जोली (45) 2021 में विदेश मंत्री नियुक्त हुई थीं। उससे पहले उन्होंने 3 अन्य कैबिनेट पदों पर कार्य किया था।
ऑक्सफोर्ड से पढ़ी और वकील रहीं जोली कनाडा के समर्थन में कई बार यूक्रेन दौरा कर चुकी हैं।
वहीं, ट्रूडो की सहयोगी और उनके मंत्रिमंडल में सबसे शक्तिशाली मंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड (56) ने दिसंबर 2024 में उप प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दी थी।
फ्रीलैंड पत्रकार रह चुकी हैं। वह 2013 में हाउस ऑफ कॉमन्स पहुंची थीं।
दावेदार
मार्क कार्नी और फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन भी हैं दावेदार
बैंक ऑफ कनाडा के पूर्व गवर्नर मार्क कार्नी (59) हाल के महीनों में ट्रूडो के विशेष सलाहकार रहे हैं। हार्वर्ड से पढ़े कार्नी ने कभी सार्वजनिक पद नहीं संभाला, लेकिन वे अर्थ के जानकार माने जाते हैं।
कार्नी जलवायु कार्रवाई पर संयुक्त राष्ट्र के विशेष राजदूत रहे हैं और उदार नीतियों के समर्थक माने जाते हैं।
वहीं फ्रेंकोइस-फिलिप शैम्पेन (54) अभी नवाचार, विज्ञान और उद्योग मंत्री हैं। उन्होंने विदेश मामलों और अंतरराष्ट्रीय व्यापार सहित कई कैबिनेट पद संभाले हैं।