इस्लामिक राष्ट्र की ओर कदम बढ़ रहा बांग्लादेश? संविधान से 'धर्मनिरपेक्ष' शब्द हटाने की मांग उठी
बांग्लादेश को इस्लामिक राष्ट्र घोषित करने की मांग उठने लगी है। यहां के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद असदुज्जमां ने देश के संविधान से धर्मनिरपेक्ष शब्द को हटाने की मांग की है। असदुज्जमां ने न्यायमूर्ति फराह महबूब और देबाशीष रॉय चौधरी के समक्ष 15वें संशोधन की वैधानिकता पर अदालती सुनवाई के दौरान अपनी दलीलें पेश करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि ये परिवर्तन "संविधान को देश के लोकतांत्रिक और ऐतिहासिक चरित्र के अनुरूप बनाएंगे।"
बंगबंधु का पदनाम बदलने की मांग
असदुज्जमां ने दलील दी, "पहले, अल्लाह पर हमेशा भरोसा और आस्था थी। मैं चाहता हूं कि यह पहले जैसा ही रहे। अनुच्छेद 2ए में कहा गया है कि राज्य सभी धर्मों के पालन में समान अधिकार और समानता सुनिश्चित करेगा। अनुच्छेद 9 बंगाली राष्ट्रवाद की बात करता है। यह विरोधाभासी है।" उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता कहे जाने वाले बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के पदनाम में भी बदलाव की मांग की है।
शेख मुजीबुर रहमान को लेकर क्या दलील दी
अटॉर्नी जनरल ने शेख मुजीब को लेकर कहा, "बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान को राष्ट्रपिता के रूप में बताने सहित कई संशोधन देश को विभाजित करते हैं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित करते हैं। शेख मुजीब के योगदान का सम्मान महत्वपूर्ण है, लेकिन इसे कानून द्वारा लागू करना विभाजन पैदा करता है।" सीएनएन-न्यूज18 ने भारत सरकार के शीर्ष अधिकारी के जरिए बताया कि बांग्लादेश में ऐसे और बदलाव किए जाएंगे और अटॉर्नी जनरल का कदम यूनुस सरकार के अनुरूप है।