पौधा चरना दो बकरों को पड़ा महँगा, पुलिस ने किया गिरफ़्तार और मालिक पर लगाया जुर्माना
क्या है खबर?
अपराध करने पर सज़ा मिलना जायज़ है। जो भी अपराध करता है, उसे उसके हिसाब से कानून सज़ा देता है।
लेकिन कई बार कानून कुछ ऐसों की भी सज़ा देता है, जो सही मायनों में सज़ा के हक़दार नहीं होते हैं।
अब इन दोनों बकरों को ही ले लीजिए, जिन्हें पौधा चरने की वजह से पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। केवल यही नहीं बकरों के मालिक पर पुलिस ने जुर्माना भी लगाया है।
आइए इसके बारे में विस्तार से जानें।
मामला
NGO कार्यकर्ताओं ने बकरों को किया पुलिस के हवाले
जानकारी के अनुसार पौधा चरने पर तेलंगाना पुलिस ने दो बकरों को गिरफ़्तार कर लिया। यह घटना करीमनगर जिले के हुज़ूराबाद शहर की है।
दरअसल, पौधा चरने पर एक NGO कार्यकर्ता ने दो बकरों को थाने पहुँचाया और उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया।
बकरों पर आरोप है कि उन्होंने NGO द्वारा लगाए गए पौधों को चर लिया। बताया जाता है कि ये पौधे सरकारी पहल 'तेलंगानाकु हरिता हरम' के तहत लगाए गए थे।
जुर्माना
नगर पालिका ने बकरों के मालिक पर लगाया 1,000 रुपये का जुर्माना
द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार, हुज़ूराबाद नगरपालिका अधिकारियों ने दोनों बकरों के मालिक पर 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया। इसके बाद ही बकरों को छोड़ा गया।
हुज़ूराबाद के इंस्पेक्टर वासमशेट्टी माधवी ने कहा, "सेव द ट्रीज संगठन के अनिल और विक्रांत नाम के दो कार्यकर्ता हमारे पास आए थे। दोनों ने शिकायत की कि बकरों ने उनके द्वारा लगाए गए पौधे खा लिए हैं।"
शिकायत के बाद पुलिस ने दोनों बकरों को गिरफ़्तार कर लिया।
जानकारी
जुर्माना भरने के बाद बकरों को छोड़ा गया
थाना परिसर में दोनों बकरों को खंभे से बाँधकर तब तक रखा गया जब तक बकरों के मालिक ने जुर्माना नहीं भरा। बकरों के मालिक द्रोणाकोंडा राजैया ने बुधवार को नगर निगम प्राधिकरण को 1,000 रुपये का जुर्माना भरा, उसके बाद बकरों को छोड़ा गया।
प्रावधान
भारतीय दंड संहिता में पशुओं को गिरफ़्तार करने या दंड देने का नहीं है कोई प्रावधान
NGO सेव ट्रीज के कार्यकर्ताओं की शिकायत पर पुलिस ने कार्यवाई की थी।
पुलिस के अनुसार, दोनों कार्यकर्ताओं ने बताया कि उनके संगठन ने शहर में 900 पौधे लगाए थे, जिनमें से इन बकरों ने सरकारी अस्पताल परिसर के लगभग 150 पौधे खा गए।
हालाँकि पुलिस ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि उन्होंने बकरों को गिरफ़्तार नहीं किया था, क्योंकि भारतीय दंड संहिता में पशुओं को गिरफ़्तार करने या सज़ा देने का कोई प्रावधान नहीं है।
बयान
हमारे लिए सिरदर्द बन गए थे बकरे
वहीं, द न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए NGO कार्यकर्ता विक्रांत ने कहा, " हम लोगों ने शहर के स्कूल, अस्पतालों, और पुलिस स्टेशन परिसरों में अपने पैसों से ये पौधे लगाए थे। हमने बड़ी मुश्किल से ये पौधे ख़रीदे थे।"
उन्होंने आगे कहा, "इन पौधों के लगाए जाने के कुछ दिनों बाद ही इन दोनों बकरों ने पौधों को खाना शुरू कर दिया। ऐसे में ये बकरे हमारे लिए सिर दर्द बन गए थे।"