दक्षिण कोरिया: बच्चा पैदा करने पर अपने कर्मचारियों को लाखों रुपये दे रही कंपनी, जानें कारण
क्या है खबर?
जहां कई देशों में जनसंख्या में बढ़ोतरी एक समस्या है, वहीं दक्षिण कोरिया जनसांख्यिकी संकट से जूझ रहा है।
ऐसे में प्रजनन दर में चिंताजन गिरावट को सुधारने की पहल करते हुए यहां की बूयॉन्ग ग्रुप नामक कंपनी ने बच्चों वाले अपने कर्मचारियों को 75,000 डॉलर (लगभग 62 लाख रुपये) देने की घोषणा की है।
बूयॉन्ग ग्रुप का यह साहसिक कदम देश में जनसांख्यिकीय स्थिरता के लिए है।
आइए पूरा मामला जानते हैं।
प्रजनन दर
दुनिया की सबसे कम प्रजनन दर का सामना कर रहा है दक्षिण कोरिया
इस समय दक्षिण कोरिया दुनिया की सबसे कम प्रजनन दर से जूझ रहा है। साल 2022 में देश की प्रजनन दर 0.78 पर थी।
सांख्यिकी कोरिया के आधिकारिक पूर्वानुमानों के अनुसार, साल 2025 तक यह अनुपात गिरकर 0.65 हो सकता है।
यही वजह है कि बूयॉन्ग ग्रुप अपने कार्यबल को वित्तीय सहायता प्रदान करके गंभीर जनसांख्यिकीय संकट से निपटने की कोशिश कर रहा है।
कंपनी का लक्ष्य घटती प्रजनन दर को उलटना और देश के लिए सार्थक योगदान देना है।
वित्तीय सहायता
कर्मचारियों को वित्तीय सहायता दे रही है कंपनी
कंपनी के अध्यक्ष ली जोंग-क्यून ने हाल ही में बच्चे पैदा करने के लिए कर्मचारियों को वित्तीय सहायता देने की घोषणा की है।
कंपनी प्रति बच्चे के लिए 10 करोड़ कोरियाई वॉन यानी 75,000 डॉलर या लगभग 62 लाख रुपये देगी।
इस तरह कंपनी 20221 के बाद 70 बच्चे पैदा करने वाले कर्मचारियों को कुल 55.2 लाख डॉलर या लगभग 43 करोड़ रुपये का ईनाम देगी।
कंपनी की पहल सामाजिक चुनौतियों में कॉर्पोरेट हस्तक्षेप का नया मानक स्थापित करती है।
लाभ
पहल से मिल सकते हैं ये लाभ
इस पहल का लाभ पुरुष और महिला दोनों कर्मचारियों को मिलेगा।
पर्याप्त मौद्रिक पुरस्कारों के अलावा 3 बच्चों वाले कर्मचारियों को एक और अनोखा विकल्प दिया जा रहा है। वे या तो 30 करोड़ कोरियाई वॉन (2,25,000 डॉलर यानी लगभग 1 करोड़ रुपये) नकद ले सकते हैं या किराये पर आवास की सुविधा पा सकते हैं।
आवास वाला विकल्प सरकार द्वारा प्रदान की गई जमीन पर निर्भर है।
जानकारी
पहले भी ऐसी पहल कर चुका है ग्रुप
साल 1983 में स्थापित बूयॉन्ग ग्रुप ने 2,70,000 से अधिक घरों का निर्माण किया है और अब दक्षिण कोरिया की जनसांख्यिकीय चुनौतियों का समाधान करने में अहम भूमिका निभा रहा है।
इस पहल में वैश्विक स्तर पर जनसांख्यिकीय मुद्दों के प्रति कॉर्पोरेट दृष्टिकोण को नया आकार देने की क्षमता है, जो व्यवसायों के सामाजिक सरोकारों से जुड़ने के तरीके में एक आदर्श बदलाव का संकेत देता है।