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आचरेकर ने बनाया सचिन को 'मास्टर ब्लास्टर', जानिए गुरु-शिष्य की इस जोड़ी की रोचक बातें
सचिन ने हमेशा दिया आचरेकर को अपनी सफलता का श्रेय

आचरेकर ने बनाया सचिन को 'मास्टर ब्लास्टर', जानिए गुरु-शिष्य की इस जोड़ी की रोचक बातें

लेखन Neeraj Pandey
Sep 03, 2021
12:42 pm

क्या है खबर?

सचिन तेंदुलकर क्रिकेट के भगवान माने जाते हैं, लेकिन उन्होंने अपने बचपन के कोच रमाकांत आचरेकर को अपना भगवान माना था। 11 साल की उम्र में सचिन क्रिकेट की बारीकियां सीखने के लिए आचरेकर के पास गए थे। इसके बाद से सचिन ने आचरेकर के स्वर्गवासी होने तक उन्हें अपना गुरु बनाए रखा और मौका मिलने पर उनके पास जाते रहे। 'टीचर्स डे' के उपलक्ष में आइए जानते हैं इस गुरु-शिष्य की जोड़ी की कुछ दिलचस्प बातें।

संघर्ष

सचिन को लेकर कई मैदानों में जाते थे आचरेकर

आचरेकर को शुरु से ही सचिन पर काफी भरोसा था और इसी कारण उन्होंने सचिन के लिए काफी मेहनत की थी। वह सचिन के लिए कई मैदानों में केवल बल्लेबाजी करने की व्यवस्था रखते थे। आचरेकर पहले ही बता दिया करते थे कि सचिन चार नंबर पर बल्लेबाजी करेंगे। एक मैदान पर बल्लेबाजी खत्म होने के बाद सचिन को लेकर आचरेकर दूसरे मैदान में पहुंच जाते थे। इस तरह से सचिन को भरपूर अभ्यास करने का मौका मिलता था।

थप्पड़

आचरेकर के थप्पड़ ने बदली सचिन की जिंदगी

एक बार सचिन ने अपना अभ्यास छोड़कर हैरिस शील्ड टूर्नामेंट का फाइनल देखने का निर्णय लिया। सचिन को वहां उनके गुरु आचरेकर नजर आए तो वह उनसे मिलने चले गए। आचरेकर को जैसे ही पता चला कि सचिन ने प्रैक्टिस छोड़ी है, वैसे ही उन्होंने सचिन को जोरदार थप्पड़ लगा दिया। इस एक थप्पड़ ने सचिन की जिंदगी बदल दी क्योंकि इसके बाद सचिन अपनी प्रैक्टिस को लेकर काफी गंभीर हो गए थे।

सराहना

29 साल में कभी आचरेकर से नहीं मिली सचिन को सराहना

सचिन के खेल की दुनियाभर ने सराहना की, लेकिन उनके कोच आचरेकर ने कभी भी सचिन की सराहना नहीं की। सचिन ने खुद इस बात का खुलासा किया है कि उनके गुरु ने कभी भी उन्हें 'वेल प्लेड' नहीं बोला। मास्टर ब्लास्टर को लगता है कि वह शायद इसलिए ऐसा नहीं बोलते थे क्योंकि उन्हें लगता था कि ऐसा बोलने से सचिन अपने खेल को हल्के में लेने लगेंगे।

बचपन

बचपन में इस तरह सचिन को मिलता था गुरु के खुश होने का संकेत

आचरेकर बचपन में भी सचिन को भी अच्छा खेलने की बधाई नहीं देते थे, लेकिन वह कुछ ऐसी चीजें करते थे जिससे सचिन को पता चल जाता था कि आज मैदान में उन्होंने कुछ अच्छा किया है। सचिन द्वारा अच्छा खेलने के बाद उनके गुरु उनको लेकर भेल-पूरी या फिर पानी-पूरी की दुकान पर ले जाते थे। वहां पहुंचते ही सचिन को एहसास हो जाता था कि आज उनके गुरु काफी खुश हैं।

गुरु पूर्णिमा

हर गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु से मिलने जाते थे सचिन

सचिन हर गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु से मिलने उनके घर जाया करते थे। इस दौरान वह आचरेकर से ट्रेनिंग पाए अपने किसी साथी खिलाड़ी को भी ले जाते थे। अक्सर देखा जाता था कि गुरु पूर्णिमा के दिन सचिन भावुक हो जाते थे और सोशल मीडिया पर अपने पूरे करियर की सफलता का श्रेय अपने गुरु आचरेकर को दिया करते थे। सचिन ने आचरेकर की अर्थी को कंधा भी दिया था।

अवार्ड

द्रोणाचार्य अवार्डी कोच थे आचरेकर

आचरेकर ने अपने करियर में केवल एक फर्स्ट-क्लास मैच खेला था, लेकिन कोचिंग में वह काफी सफल रहे। सचिन के अलावा अजीत अगरकर, चंद्रकांत पंडित, विनोद कांबली, रमेश पोवार और प्रवीण आमरे जैसे खिलाड़ियों को कोचिंग देने वाले आचरेकर को 1990 में द्रोणाचार्य अवार्ड दिया गया था। इसके बाद 2010 में उन्हें राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल द्वारा खेलों के क्षेत्र में पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। 2019 में उनका 87 साल की उम्र में निधन हो गया था।