Page Loader
दुनिया की पहली साइबॉर्ग मधुमक्खी तैयार, क्या है इसकी खासियत?
दुनिया की पहली साइबॉर्ग मधुमक्खी चीन में तैयार (तस्वीर: पिक्साबे)

दुनिया की पहली साइबॉर्ग मधुमक्खी तैयार, क्या है इसकी खासियत?

Jul 10, 2025
06:09 pm

क्या है खबर?

चीन के वैज्ञानिकों ने दुनिया के सबसे हल्के मस्तिष्क नियंत्रक वाली पहली साइबॉर्ग मधुमक्खी बनाई है। यह डिवाइस केवल 74 मिलीग्राम वजनी है, जो रस की एक थैली से भी हल्का है। मधुमक्खी की पीठ पर इसे बांधकर उसकी उड़ान को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों से नियंत्रित किया गया। परीक्षणों में मधुमक्खी ने 90 प्रतिशत मामलों में सही दिशा में उड़ान भरी। यह शोध बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा किया गया है।

काम

कैसे करता है यह सिस्टम काम?

इस छोटे डिवाइस में 3 सुइयां होती हैं, जो मधुमक्खी के मस्तिष्क में प्रवेश करके उसमें भ्रम पैदा करती हैं। इसके बाद इलेक्ट्रॉनिक वाइब्रेशन से उसे बाएं मुड़ने, दाएं जाने, या आगे-पीछे उड़ने का आदेश दिया जाता है। चीन के वैज्ञानिकों ने अलग-अलग वाइब्रेशन का परीक्षण कर यह देखा कि कौन-सा संकेत कौन-सी हरकत कराता है। मधुमक्खियां अधिकतर आदेश मानती हैं, लेकिन फिलहाल उन्हें तार से बिजली देनी पड़ती है।

खूबियां

क्या हैं इसकी खास खूबियां?

यह डिवाइस बेहद पतला, लचीला और हल्का है, जिसे कीट के पंखों जैसा बनाया गया है, जिसमें इन्फ्रारेड रिमोट और माइक्रोचिप्स भी लगे हैं। पहले साइबॉर्ग नियंत्रक तिलचट्टों या भृंगों पर काम करते थे, लेकिन वे धीमे चलते और जल्दी थक जाते थे। इसके मुकाबले मधुमक्खियां तेज उड़ान भर सकती हैं और लंबे समय तक सक्रिय रह सकती हैं। इससे यह डिवाइस टोही, जासूसी और राहत कार्यों के लिए ज्यादा उपयोगी बनता है।

 योजना 

भविष्य की योजना और वैश्विक प्रतियोगिता 

वैज्ञानिकों ने कहा कि वह आने वाले समय में बैटरी का वजन घटाकर इसे वायरलेस बनाने पर काम करेंगे। मधुमक्खी बिना रुके लगभग 5 किलोमीटर तक उड़ सकती है, जो इसकी रेंज को खास बनाता है। अमेरिका और जापान पहले इस तकनीक में आगे थे, लेकिन अब चीन तेजी से आगे बढ़ रहा है। यह साइबॉर्ग तकनीक युद्ध, आतंकवाद-रोधी मिशन और आपदा राहत कार्यों में बड़ी भूमिका निभा सकती है। सरकारी सहयोग से रिसर्च को तेज रफ्तार मिली है।