
वॉयजर 2 के यूरेनस मिशन में सामने आई असामान्य घटना, शोध में हुआ खुलासा
क्या है खबर?
यूरेनस के बारे में ज्यादातर जानकारी नासा के वॉयजर 2 अंतरिक्ष यान द्वारा 1986 में की गई सिर्फ 5 घंटे की यात्रा से ही मिली है। इस दौरान, वॉयजर 2 ने पाया कि यूरेनस के पास अन्य ग्रहों से अलग चुंबकीय क्षेत्र है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि यह संयोग से हुई एक सौर घटना के कारण हुआ था, जिससे हमारी समझ गलत हो सकती है। वैज्ञानिकों के अनुसार, यूरेनस के रहस्यों को समझने की आवश्यकता है।
वजह
यूरेनस का चुंबकीय क्षेत्र इस वजह से है अजीब
वॉयजर 2 ने यूरेनस से करीब 50,000 मील की ऊंचाई पर उड़ान भरी थी और पाया कि यूरेनस का चुंबकीय क्षेत्र, जिसे मैग्नेटोस्फीयर कहते हैं, अन्य ग्रहों से अलग था और प्लाज्मा से खाली था।
इस क्षेत्र में तेज विकिरण भी देखा गया, जो सिद्धांतों को चुनौती देता है। नासा के वैज्ञानिक जेमी जैसिंस्की और उनकी टीम के अनुसार, यह असामान्य स्थिति उस समय सूर्य की बढ़ी हुई गतिविधि के कारण हो सकती है।
घटना
यह अनोखी घटना भी देखी गई यूरेनस पर
वॉयजर 2 के यूरेनस से गुजरते समय ग्रह पर एक अनोखी घटना हो रही थी, जिसे 'सह-घूर्णन संपर्क क्षेत्र' कहते हैं। यह सूर्य की गतिविधि का प्रभाव है जो प्लाज्मा की धाराओं को सौरमंडल के किनारे फैलाता है।
खगोल वैज्ञानिक फ्रैन बैगेनल के अनुसार, इस जानकारी ने उन्हें चौंका दिया, क्योंकि यह पहले कभी यूरेनस पर नहीं देखा गया था। यह शोध महत्वपूर्ण सवाल उठाता है और भविष्य में नासा के संभावित मिशन में मददगार हो सकता है।
खोज
शोध में क्या चला पता?
शोध से पता चला है कि वॉयजर 2 के यूरेनस के पास से गुजरते समय सौर गतिविधि के दबाव से यूरेनस का मैग्नेटोस्फीयर सिकुड़ गया था। इससे ग्रह के पास प्लाज्मा की मात्रा कम थी और विकिरण बेल्ट में ऊर्जा की तीव्रता बढ़ गई थी।
नासा 2032 तक यूरेनस पर नया मिशन भेजने की योजना बना रही है, ताकि ग्रह का बेहतर अध्ययन हो सके। यूरेनस और नेपच्यून की खोज से दूर के ग्रहों को समझने में भी मदद मिलेगी।
मिशन
वैज्ञानिक क्यों भेजना चाहते हैं नया मिशन?
वैज्ञानिकों को यूरेनस में खास रुचि है, क्योंकि इसका चुंबकीय क्षेत्र और परिक्रमा का तरीका बाकी ग्रहों से बहुत अलग है। यह अपनी धुरी पर झुका हुआ है, शायद किसी बड़ी टक्कर के कारण।
इसके चरम मौसम, इसके बनने की प्रक्रिया, वायुमंडल के काम करने का तरीका, और चंद्रमाओं में संभव महासागर जैसे कई सवालों के जवाब अब भी अधूरे हैं। वैज्ञानिक इसे बेहतर समझने और इन रहस्यों को हल करने के लिए दोबारा यूरेनस पर मिशन भेजना चाहते हैं।