सौर ऊर्जा आधारित ये रिएक्टर हवा को बना देता है ईंधन, कार्बन उत्सर्जन को करेगा कम
क्या है खबर?
कैंब्रिज विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने एक सौर ऊर्जा संचालित रिएक्टर विकसित किया है, जो कार्बन डाइऑक्साइड और प्लास्टिक के कचरे को एक स्थायी ईंधन में परिवर्तित कर सकता है। इस प्रक्रिया में कुछ अन्य उपयोगी केमिकल का भी उत्पादन होता है।
रिएक्टर ने कार्बन डाइऑक्साइड को सिनगैस या सिंथेटिक गैस में बदल दिया।
सिनगैस अपने आप में ज्वलनशील है और इसे सीधे ईंधन के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
ईंधन
प्लास्टिक बोतलों को ग्लाइसोलिड एसिड में बदल देता है रिएक्टर
20वीं शताब्दी में कई औद्योगिक शहरों के निवासियों को कुछ प्रकार के सिनगैस की आपूर्ति की गई थी। काम करने के लिए यह चुनौतीपूर्ण ईंधन है और अन्य ईंधन बनाने के लिए इसका बेहतर उपयोग किया जाता है।
परीक्षण में इस्तेमाल की गई प्लास्टिक की बोतलों को ग्लाइकोलिड एसिड में बदल दिया गया, जो हेल्थकेयर इंडस्ट्री में भी काफी उपयोग हैं।
वेबMD के अनुसार, यह त्वचा की उम्र बढ़ाने, डार्क स्किन पैच, मुहांसों के इलाज में उपयोगी है।
इंडस्ट्री
उद्योगों के कार्बन उत्सर्जन को ईंधन में बदलता है रिएक्टर
रिसर्च के परिणाम सोमवार को पीयर-रिव्यू जर्नल जूल में प्रकाशित हुए।
इसके नतीजे ऐसे रहे कि रिएक्टरों ने इंडस्ट्री से निकले और सामान्य हवा सहित पर्यावरण के स्त्रोतों से कार्बन डाइऑक्साइड को कैप्चर किया। इसमें पावर प्लांट, सीमेंट कारखाने, बायोगैस संयंत्र आदि उद्योगों से कार्बन उत्सर्जन को कैप्चर करके सूरज की रोशनी और प्लास्टिक कचरे का उपयोग कर उसे ईंधन में बदला जा सकता है।
एनर्जी
कार्बन डाइऑक्साइड को प्रोपेनॉल और इथेनॉल में बदलने वाली कृत्रिम पत्तियां
यह रिसर्च कैंब्रिज विश्वविद्यालय में रसायन विज्ञान के यूसुफ हमीद विभाग में इरविन रीस्नर के रिसर्च ग्रुप द्वारा आयोजित किया गया था। रीस्नर विभाग में एनर्जी और सस्टेनेबिलिटी के प्रोफेसर हैं।
रिसर्च ग्रुप को प्रकाश संश्लेषण के जरिए नेट-जीरो कार्बन ईंधन बनाने वाली तकनीकों को बनाने में काफी सफलता मिली है।
इसमें टीम द्वारा पिछले महीने अनावरण की गईं "कृत्रिम पत्तियां" भी शामिल हैं, जो कार्बन डाइऑक्साइड को प्रोपेनॉल और इथेनॉल में बदल सकती हैं।
बिजली
सिस्टम में हैं 2 भाग
यह सिस्टम कार्बन डाइऑक्साइड को एक फोटोकैथोड और एक एनोड में परिवर्तित करता है। एनोड और कैथोड विद्युत कंडक्टर हैं। एनोड में बिजली प्रवाहित होती है और कैथोड के जरिए बिजली बाहर निकलती है।
सिस्टम में 2 भाग हैं। एक तरफ कार्बन डाइऑक्साइड का क्षारीय घोल, जो कार्बन डाइऑक्साइड को पकड़ता है और ये सिनोगैस में बदल जाता है। दूसरे भाग में प्लास्टिक ग्लाइकोलिड एसिड में बदल जाते हैं।
मिश्रण
रिसर्चर्स सिस्टम को सुधारने पर कर रहे हैं काम
रिसर्चर्स अब सिस्टम की दक्षता, स्थिरता और स्थायित्व में सुधार करने पर काम कर रहे हैं। इसमें कार्बन कैप्चर प्रक्रिया और और प्रकाश अवशोषण प्रक्रिया को अनुकूलित करना शामिल है।
रिसर्च ग्रुप द्वारा विकसित कृत्रिम पत्तियां शुरू में सौर ऊर्जा से सिनगैस बनाते थे। बाद में इसे प्रोपेनॉल और इथेनॉल के उत्पादन के लिए संशोधित किया गया। इथेनॉल को वाहनों में इस्तेमाल होने वाले पेट्रोल में एक मिश्रण के रूप में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।