परमाणु संलयन के क्षेत्र में चीन की नई उपलब्धि, 'नकली सूरज' से पैदा किया चुंबकीय क्षेत्र
क्या है खबर?
चीन ने परमाणु संलयन ऊर्जा खोज के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
चीन द्वारा बनाए गए नकली सूर्य रिएक्टर, हुआनलियू-3 (HL-3) ने पहली बार चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न किया है।
इस नए चुंबकीय क्षेत्र डिजाइन का बनना टोकामक अनुसंधान में एक बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जा रहा है।
बता दें कि HL-3 एक टोकामक रिएक्टर है, जिसे 17 वैश्विक प्रयोगशालाओं और सुविधाओं द्वारा संचालित किया जाता है।
वजह
चुंबकीय क्षेत्र की भूमिका क्यों है महत्वपूर्ण?
संलयन ऊर्जा उत्पादन में चुंबकीय क्षेत्र बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इसमें अति गर्म, संलयन-उत्पादक प्लाज्मा होता है। प्लाज्मा को नियंत्रित करने और शुद्ध ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए इसे पर्याप्त गर्म रखने के लिए एक सफल चुंबकीय क्षेत्र आवश्यक है।
करीब 10 लाख डिग्री तक पहुंचने वाला प्लाज्मा, किसी भी सामग्री को बिना तुरंत ठंडा किए और संपर्क में आने वाले हिस्से को नुकसान पहुंचाए या नष्ट किए बिना नहीं छू सकता है।
खर्च
चीन ने संलयन अनुसंधान में अमेरिका से अधिक किया खर्च
चीन वर्तमान में संलयन अनुसंधान में प्रतिवर्ष लगभग 1.5 अरब डॉलर (लगभग 125 अरब रुपये) का निवेश कर रहा है, जो अमेरिकी सरकार के संलयन बजट का लगभग दोगुना है।
अगर चीन इसी तरह निवेश और विकास की गति को बनाए रखता है, तो वह 3-4 वर्षों के भीतर अमेरिका और यूरोप की चुंबकीय संलयन क्षमताओं को पार कर सकता है।
संलयन ऊर्जा अनुसंधान के लिए चीन की योजना HL-3 रिएक्टर से आगे की है।