चंद्रयान-3 ने चांद की तरफ बढ़ाया एक और कदम, पृथ्वी के ऑर्बिट को छोड़ा
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने चंद्रयान-3 को ट्रांसलूनर ऑर्बिट में स्थापित कर दिया है। इसी के साथ चंद्रयान-3 पृथ्वी की ऑर्बिट से निकलकर अब ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी की यात्रा कर रहा है। पृथ्वी के ऑर्बिट से चांद की तरफ भेजने की प्रक्रिया को ट्रांसलूनर इंजेक्शन (TLI) कहा जाता है। ISRO के ट्वीट के मुताबिक, जैसे ही यह चांद पर पहुंचेगा तो 5 अगस्त, 2023 को लूनर ऑर्बिट इंसर्सन (LOI) किया जाएगा।
ISRO ने 25 जुलाई को बताई थी अगली योजना
चंद्रयान-3 के ट्रांसलूनर इंजेक्शन के लिए इसके मॉड्यूल के इंजन को करीब 20 से 26 मिनट के लिए चालू किया गया था। अब चंद्रयान-3 ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी के रास्ते चांद की तरफ बढ़ रहा है। इससे पहले 25 जुलाई, 2023 को चंद्रयान-3 अपने पांचवें ऑर्बिट मैन्युवर के बाद आखिरी ऑर्बिट में पहुंचा था। पृथ्वी के ऑर्बिट में चंद्रयान-3 के पांचवें मैन्युवर को बेंगलुरू के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRAC) से अंजाम दिया गया था।
5 दिन की यात्रा के बाद चांद पर पहुंचेगा चंद्रयान-3
चंद्रयान-3 लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी में 5 दिन यात्रा करेगा और 5 अगस्त को की जाने वाली LOI के जरिए इसे चांद के ऑर्बिट में भेजा जाएगा। चंद्रयान-3 जैसे-जैसे चांद की सतह की तरफ बढ़ता जाएगा, उसी के साथ ISRO की चुनौती भी बढ़ती जाएगी। दरअसल, चांद मिशन को लूनर ट्रांसफर ट्रैजेक्टरी से चांद की सतह पर पहुंचाना चुनौती भरा काम है। अगर चंद्रयान-3 चांद के ऑर्बिट को नहीं पकड़ पाया तो यह चांद के पीछे चला जाएगा।
23 अगस्त को कराई जा सकती है सॉफ्ट लैंडिंग
तय प्लान के हिसाब से सब ठीक रहा तो 17 अगस्त को प्रोपल्शन सिस्टम लैंडर रोवर से अलग होगा। मॉड्यूल के अलग होने के बाद लैंडर रोवर को चांद के 100X30 किमी के ऑर्बिट में भेजा जाएगा और यहीं से चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग शुरू होगी। मिशन के सबसे चुनौतीपूर्ण काम सॉफ्ट लैंडिंग को 23 अगस्त को अंजाम दिया जाएगा। सॉफ्ट लैंडिंग को सफल बनाने के मिशन के डिजाइन से लेकर सॉफ्टवेयर आदि में कई बदलाव किए गए हैं।
सफल लैंडिंग की उपलब्धि वाला चौथा देश होगा भारत
सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद रोवर लैंडर से बाहर निकलेगा और तय किए गए लक्ष्यों को प्राप्त करेगा। चंद्रयान-3 के चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिग के साथ ही अमेरिका, चीन और रूस के बाद चांद की सतह पर उतरने की उपलब्धि हासिल करने वाला भारत चौथा देश होगा। चंद्रयान-3 की लैंडिंग चांद के दक्षिणी ध्रुव पर होगी। इस इलाके की लैंडिंग से वैज्ञानिकों को चांद की सतह पर पानी मिलने की उम्मीद है।