एंड्रॉयड यूजर्स के लिए जल्द आ सकती है क्लबहाउस ऐप
ऑडियो-ओनली चैटिंग ऐप क्लबहाउस बीते दिनों चर्चा में रही, लेकिन एंड्रॉयड यूजर्स के पास यह ऐप इस्तेमाल करने का विकल्प नहीं है। केवल आईफोन यूजर्स के लिए उपलब्ध क्लबहाउस ऐप जल्द ही एंड्रॉयड प्लेटफॉर्म पर भी लॉन्च हो सकती है। रिपोर्ट्स में कहा गया है कि क्लबहाउस ऐप के एंड्रॉयड वर्जन पर अल्फा एक्सप्लोरेशन कंपनी काम कर रही है। कंपनी को-फाउंडर पॉल डेविडसन ने एक इंटरव्यू में बताया कि ऐप का एंड्रॉयड वर्जन तैयार किया जा रहा है।
बिल गेट्स के साथ इंटरव्यू में बताया
डेविडसन ने जिस इंटरव्यू में क्लबहाउस ऐप के एंड्रॉयड वर्जन के डिवेलपमेंट की बात कही है, जर्नलिस्ट एंड्र्यू रॉस सोर्किन और बिल गेट्स भी उसका हिस्सा थे। इंटरव्यू में माइक्रोसॉफ्ट फाउंडर बिल गेट्स ने बताया कि वे आईफोन के मुकाबले एंड्रॉयड फोन पसंद करते हैं। जवाब में डेविडसन ने दावा किया कि क्लबहाउस एंड्रॉयड ऐप दुनिया के 'टॉप फीचर्स' में शामिल है और डिवेलपर्स इसे सच बनाने के काम में लगे हैं।
इसलिए तेजी से बढ़े क्लबहाउस यूजर्स
टेस्ला फाउंडर एलन मस्क ने पिछले महीनों क्लबहाउस ऐप के बारे में ट्वीट्स किए, जिसके बाद ऐप यूजर्स तेजी से बढ़े। क्लबहाउस ऐप अभी केवल आईफोन यूजर्स के लिए उपलब्ध है और दूसरे प्लेटफॉर्म्स पर इसे डाउनलोड नहीं किया जा सकता। इस ऐप से जुड़ने के लिए मौजूदा यूजर की ओर से भेजा जाने वाला इनवाइट इस्तेमाल करना होता है, यानी कि यह एक इनवाइट ओनली ऐप है। क्लबहाउस का यूजरबेस 30 लाख यूजर्स तक पहुंच चुका है।
यूजर्स की पसंद के हिसाब से क्लबहाउस रूम्स
क्लबहाउस ऐप का कॉन्सेप्ट चैट रूम्स पर आधारित है, जिनमें यूजर्स टेक्स्ट या वीडियो के बजाय ऑडियो की मदद से जुड़ते हैं। ऐप में आप लोगों को फॉलो कर सकते हैं, या फिर अपनी पसंद के हिसाब से रूम्स का हिस्सा बन सकते हैं। यूजर्स दूसरे पार्टिसिपेंट्स के साथ किसी एक विषय पर चर्चा कर सकते हैं और लाइव चैट्स सुन सकते हैं। आसान भाषा में समझें तो यह कॉन्फ्रेंस कॉल जैसा अनुभव देता है।
चैट लीक्स को लेकर उठे सवाल
क्लबहाउस ऐप के सुर्खियों में आने की वजह इसकी सुरक्षा और यूजर्स प्राइवेसी पर उठे सवाल भी रहे। सामने आया कि चीन की कंपनी अगोरा इंक ऐप के बैक-एंड का काम देखती है और यूजर्स का डाटा चीन में प्रोसेस होता है। बीते दिनों एक यूजर की ओर से थर्ड-पार्टी वेबसाइट पर क्लबहाउस रूम ब्रॉडकास्ट करने का मामला सामने आया था। एंड्रॉयड वर्जन के साथ प्राइवेसी से जुड़ी नई चुनौतियां भी ऐप डिवेलपर्स के साथ सामने आ सकती हैं।