प्लूटो की बर्फीली सतह के नीचे छिपा हुआ है महासागर, खगोलविदों ने की खोज
क्या है खबर?
खगोलविदों ने एक चौका देने वाली खोज की है, जिसमें प्लूटो की बर्फीली सतह के नीचे छिपे विशाल महासागर के पुख्ता सबूत पाए गए हैं।
इकारस नामक एक वैज्ञानिक पत्रिका में प्रकाशित शोध में प्लूटो की संरचना के विषय में नई जानकारी प्रदान की गई है। इस अध्ययन का नेतृत्व सेंट लुइस के वाशिंगटन विश्वविद्यालय में पृथ्वी, पर्यावरण और ग्रह विज्ञान के छात्र एलेक्स गुयेन ने किया था।
आइए इस ऐतिहासिक खोज के विषय में विस्तार से जानते हैं।
विवरण
नासा के अंतरिक्ष यान की मदद से जुटाईं तस्वीरें
एलेक्स की टीम ने प्लूटो के महासागर की जांच के लिए नासा के न्यू होराइजन्स अंतरिक्ष यान की मदद से गणितीय मॉडल और तस्वीरों जुटाईं थीं।
ह्यूस्टन के पैट्रिक मैकगवर्न लूनर एंड प्लैनेटरी इंस्टीट्यूट के छात्र हैं, जिन्होंने एलेक्स के साथ मिलकर यह अध्य्यन किया है। उन्होंने प्लूटो पर पानी के अस्तित्व के बारे में लंबे समय से चली आ रही बहस पर प्रकाश डाला।
यह शोध प्लूटो की संरचना को समझने की दिशा में एक जरूरी कदम है।
महासागर
40-80 किलोमीटर मोटी बर्फ की परत से ढ़का है महासागर
एलेक्स और पैट्रिक ने प्लूटो के छिपे हुए महासागर के गुणों का पता लगाने के लिए कई प्रयास किए थे। उन्होंने स्पुतनिक प्लैटिना बेसिन को कवर करने वाली बर्फ में दरारें और उभारों को समझाने के लिए गणितीय मॉडल बनाए।
अरबों साल पहले उल्कापिंड के प्रभाव से बना यह विशाल बेसिन नीचे छिपे एक महासागर के संकेत देता है। उनके मॉडल से संकेत मिलता है कि यह महासागर बर्फ की 40 से 80 किलोमीटर मोटी परत से ढका हुआ है।
निष्कर्ष
प्लूटो के महासागर के घनत्व का लगाया गया अनुमान
सतह का विश्लेषण करके शोधकर्ता समुद्र के घनत्व का अनुमान लगाने में सक्षम थे। एलेक्स के अनुसार, उन्होंने एक विशेष क्षेत्र निर्धारित किया, जहां समुद्र का घनत्व और मोटाई संतुलन में थी।
शोध से पता चलता है कि प्लूटो का महासागर पृथ्वी के समुद्री जल से लगभग 8% सघन है, जो यूटा की ग्रेट साल्ट लेक के बराबर है। अगर कोई मनुष्य प्लूटो के महासागर तक पहुंचने में सक्षम रहता है, तो वह इसमें आसानी से तैर सकेगा।
प्लूटो
1930 में की गई थी प्लूटो ग्रह की खोज
1930 में क्लाइड टॉमबॉघ द्वारा खोजे गए प्लूटो को शुरू में हमारे सौर मंडल का 9वां ग्रह माना गया था। हालांकि, 2006 में अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ (IAU) ने इसे बौने ग्रह के रूप में वर्गीकृत किया।
प्लूटो सूरज के चारों ओर अपने ऑर्बिट में औसतन 5.9 बिलियन किलोमीटर की दूरी तय करता है, जिसकी एक परिक्रमा पूरी करने में लगभग 248 पृथ्वी वर्ष लगते हैं।
2,372 किलोमीटर वजन वाला यह ग्रह पृथ्वी के चंद्रमा से भी छोटा है।