उमर अब्दुला ने की जम्मू-कश्मीर का अलग प्रधानमंत्री बनाने की बात, मोदी ने दिया यह जवाब
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुला के बयान को लेकर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों से सवाल किए हैं। दरअसल, अब्दुला ने एक रैली में कहा था कि वे जम्मू-कश्मीर में दोबारा अलग वजीर-ए-आजम और सदर-ए-रियासत की व्यवस्था को बहाल कराएंगे। इस बयान पर कांग्रेस को घेरते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि क्या कारण है कि उनका सहयोगी दल इस तरह की बात बोलने की हिम्मत कर रहा है। आइये, जानते हैं पूरा मामला।
यह था उमर अब्दुला का बयान
उमर अब्दुला सोमवार को बांदीपोरा में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने कहा, "बाकी रियासत बिना शर्त के देश में मिले, पर हमने कहा कि हमारी अपनी पहचान होगी, अपना संविधान होगा। हमने उस वक्त अपने 'सदर-ए-रियासत' और 'वजीर-ए-आजम' भी रखा था। इंशाअल्लाह उसको भी हम वापस ले आएंगे।" उन्होंने कहा कि कश्मीर का भारत में विलय कुछ शर्तों के साथ हुआ था। अगर इनसे छेड़छाड़ हुई तो विलय की योजना सवालों में आ जाएगी।
उमर अब्दुला का बयान
प्रधानमंत्री ने की बयान की आलोचना
उमर अब्दुला के इस बयान पर प्रधानमंत्री मोदी ने तेलंगाना में एक चुनावी रैली में पलटवार किया। उन्होंने कहा कि, "वो कहते हैं कि हम घड़ी की सुई पीछे ले जाएंगे और 1953 के पहले की स्थिति पैदा करेंगे और हिंदुस्तान में दो पीएम होंगे। कश्मीर का पीएम अलग होगा। जवाब कांग्रेस को और महागठबंधन के सभी पार्टनरों को देना होगा कि क्या कारण है कि उनका साथी दल इस तरह की बात बोलने की हिम्मत कर रहा है।"
प्रधानमंत्री मोदी के सवाल
कांग्रेस और विपक्षी पार्टियों से मांगा जवाब
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कांग्रेस का एक बड़ा सहयोगी दल नेशनल कॉन्फ्रेंस ने कहा कि कश्मीर में अलग प्रधानमंत्री होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस और महागठबंधन की पार्टियों के नेताओं को इस पर अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
उमर अब्दुला ने किया पलटवार
प्रधानमंत्री मोदी के बयान के बाद उमर ने फिर ट्वीट कर पलटवार किया। उन्होंने लिखा, 'कांग्रेस और दूसरी पार्टियां मेरे बयान से खुद को अलग करने में संकोच ना करें। मेरी पार्टी ने हमेशा से जम्मू-कश्मीर के विलय के उन सभी नियमों की बहाली की बात कही है जिनपर महाराजा हरि सिंह ने 1947 में जम्मू-कश्मीर के विलय के लिए समझौता किया था। प्रधानमंत्री मोदी को मेरे बयान पर ध्यान देने के लिए धन्यवाद।'
अपने बयान पर कायम उमर अब्दुला
1965 तक राज्य में होते थे प्रधानमंत्री
देश को 15 अगस्त, 1947 को आजादी मिली थी, लेकिन भारत में कश्मीर का विलय अक्तूबर में हुआ था। कश्मीर के तत्कालीन महाराजा हरि सिंह ने 27 अक्टूबर 1947 को भारत में विलय के लिए 'इंस्ट्रूमेंट ऑफ़ एक्सेशन' को स्वीकार किया था। संविधान का अनुच्छेद 370 एक 'अस्थायी प्रबंध' के जरिए जम्मू और कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा देता है। राज्य में 1965 तक राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री पद हुआ करता था।