
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और कैबिनेट ने दिया इस्तीफा, भाजपा-JJP का गठबंधन टूटा
क्या है खबर?
हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उनकी पूरी कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने राजभवन जाकर राज्यपाल को इस्तीफा सौंपा।
भाजपा और दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) का सत्तारूढ़ गठबंधन टूटने के बाद खट्टर और कैबिनेट ने इस्तीफा दिया है।
इंडिया टुडे के सूत्रों के अनुसार, भाजपा अब निर्दलीय विधायकों के साथ मिलकर सरकार बनाएगी और खट्टर दोबारा मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। पूरे मंत्रिमंडल का फिर से गठन होगा।
गणित
क्या है हरियाणा विधानसभा का गणित?
90 सदस्यीय हरियाणा विधानसभा में भाजपा के 41 विधायक हैं, वहीं कांग्रेस के 30 और JJP के 10 विधायक हैं। इसके अलावा हरियाणा लोकहित पार्टी (HLP) और इंडियन नेशनल लोकदल (INLD) के एक-एक विधायक हैं, वहीं 7 निर्दलीय विधायक हैं।
अब भाजपा HLP और 6 निर्दलीयों के साथ मिलकर सरकार बना सकती है। इससे उसके पास 48 विधायकों का समर्थन हो जाएगी, जो 46 सीटों के बहुमत के आंकड़े से 2 अधिक है।
शक्ति प्रदर्शन
सरकार में थे JJP के 3 मंत्री
भाजपा-JJP सरकार में JJP के 3 मंत्री थे। इनमें पार्टी अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला, अनूप धानक और देवेंदर सिंह बबली शामिल हैं। चौटाला तो उपमुख्यमंत्री भी थे।
खबर है कि चौटाला भी दिल्ली में अपने विधायकों के साथ बैठक करेंगे, जिसमें पार्टी की आगे की रणनीति तय की जाएगी।
कल 13 मार्च को हिरास में JJP की एक रैली होनी है। पार्टी इसमें अपना शक्ति प्रदर्शन कर सकती है।
कारण
क्यों टूटा JJP और भाजपा का गठबंधन गठबंधन?
JJP भाजपा से हरियाणा की 10 लोकसभा सीटों में 2 सीटें मांग रही थी। वह हिसार और भिवानी-महेंद्रगढ़ सीटों पर लड़ने की इच्छुक थी, लेकिन प्रदेश भाजपा उसे एक भी सीट नहीं देना चाहती और सभी 10 सीटों पर लड़ना चाहती है।
JJP अध्यक्ष चौटाला ने सोमवार को इस संबंध में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से चर्चा भी की थी, जिसमें नड्डा ने साफ कर दिया कि भाजपा उन्हें एक भी सीट नहीं देगी।
फायदा
क्या गठबंधन टूटने से होगा भाजपा को फायदा?
संभावना जताई जा रही है कि JJP से गठबंधन टूटने का भाजपा को फायदा हो सकता है।
दरअसल, राज्य में कांग्रेस मजबूत है और भाजपा-JJP गठबंधन बने रहने पर पूरा भाजपा विरोधी वोट इकट्ठा होकर उसे चला जाता।
हालांकि, अब भाजपा उम्मीद करेगी कि ये वोट कांग्रेस और JJP में बंट जाएगा और विरोधी वोटों के इस बंटवारे का उसे फायदा होगा।
2019 हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी कुछ ऐसा ही हुआ था।