कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी सरकार, केवल संशोधन संभव- खट्टर
क्या है खबर?
किसानों के विरोध के कारण करनाल का अपना दौरा रद्द करने वाले हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने साफ कर दिया कि केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस नहीं लेगी और इनमें केवल संशोधन किए जा सकते हैं।
इस बीच उन्होंने विपक्षी पार्टी कांग्रेस और भारतीय किसान संघ (BKU) के नेता गुरनाम सिंह चढूनी पर भी निशाना साधा और उन पर लोगों को कानून-व्यवस्था भंग करने के लिए उकसाने का आरोप लगाया।
करनाल दौरा
क्या है पूरा मामला?
खट्टर ने रविवार को कृषि कानूनों के समर्थन में करनाल के कैमला गांव में एक महापंचायत बुलाई थी जिसे वह संबोधित करने वाले थे।
आंदोलनकारी किसानों को इसकी भनक लग गई और वे कैमला की तरफ बढ़ने लगे। पुलिस ने वॉटर कैनन और आंसू गैस के गोलों का प्रयोग करके उन्हें रोकने की कोशिश भी की, हालांकि वे इसमें नाकाम रहे।
गांव पहुंचने के बाद किसानों ने मंच को तोड़ दिया, जिसके बाद खट्टर को अपना दौरा रद्द करना पड़ा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस
खट्टर बोले- सरकार कानूनों को रद्द नहीं करेगी, ये पक्का
करनाल दौरा रद्द होने के बाद चंडीगढ़ में प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए खट्टर ने कहा, "सरकार इन कानूनों को रद्द करने वाली नहीं है। ये पक्का है। अगर राज्य सरकारों को छूट दी भी जाती है तो इसके लिए केवल संशोधन होंगे। चर्चा के बाद एक समाधान पर पहुंचा जा सकता है। लेकिन मुझे नहीं लगता कि सरकार इन कानूनों को वापस लेने वाली है। मुझे आशा है कि बातचीत सही दिशा में आगे बढ़ रही है।"
बयान
कृषि कानूनों के फायदे देखने के लिए एक साल का इंतजार करें- खट्टर
खट्टर ने कहा कि कोई भी नई नीति बनने पर इसके फायदे दिखने में समय लगता है और इसलिए कृषि कानूनों के फायदे देखने के लिए किसानों को एक साल का इंतजार करना चाहिए।
करनाल दौरे पर उन्होंने कहा कि वह 100 करोड़ के विकास कार्यों की घोषणा करने वहां गए थे। कुछ असामाजिक तत्वों को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए उन्होंने कहा कि संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन माफ करने योग्य नहीं है।
आरोप
खट्टर ने चढूनी और कांग्रेस को ठहराया हिंसा के लिए जिम्मेदार
कांग्रेस और किसान नेता चढूनी पर निशाना साधते हुए खट्टर ने कहा, "इन लोगों ने किसानों को बदनाम किया है, ये किसानों का व्यवहार नहीं हो सकता। गुरनाम सिंह चढूनी ने दो दिन पहले वीडियो जारी किया था जिसमें उन्होंने लोगों को उकसाया। वह आज की घटना के लिए जिम्मेदार हैं। कांग्रेस और कम्युनिस्ट्स का इन घटनाओं में बड़ा योगदान है। अगर वे सोचते हैं कि इन घटनाओं के जरिए वे अपने पंख फैला सकते हैं तो वे गलत हैं।"
सलाह
खट्टर ने दिया आंदोलन को तत्काल समाप्त करने का सुझाव
अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में खट्टर ने किसान आंदोलन को तत्काल समाप्त करने की सलाह भी दी। उन्होंने कहा, "लोग इस मौसम में वहां (दिल्ली बॉर्डर) पर मर रहे हैं... मैं सुझाव दूंगा कि इस आंदोलन को तत्काल समाप्त कर देना चाहिए ताकि ये ये किसान घर वापस जा सकें।"
कैमला में तोड़फोड़ करने वालों पर उन्होंने कहा, "वे हमारे दुश्मन नहीं हैं। वे भी हमारे लोग हैं। वे भी हमारे राज्य के हैं।"
पृष्ठभूमि
क्यों प्रदर्शन कर रहे हैं किसान?
दरअसल, मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है।
इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।