टाइम मैगजीन के 100 उभरते हुए नेताओं में भीमा आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को मिली जगह
क्या है खबर?
प्रतिष्ठित टाइम मैगजीन ने दुनिया के '100 उभरते हुए नेताओं' की अपनी सूची में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद को जगह दी है।
मैगजीन ने जाति आधारित हिंसा के पीड़ितों की रखा करने और भेदभाव के खिलाफ प्रभावशाली प्रदर्शनों का आयोजन करने के लिए आजाद का नाम अपनी सूची में शामिल किया है।
आजाद के अलावा भारतीय मूल के पांच अन्य लोगों को भी भविष्य को आकार देने वाले उभरते हुए नेताओं की इस सूची में जगह दी गई है।
परिचय
कौन हैं चंद्रशेखर आजाद?
चंद्रशेखर आजाद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर के घडकौली गांव के रहने वाले हैं।
वो सबसे पहले 2015 में अपने गांव के बाहर 'द ग्रेट चमार' का बोर्ड लगाने के लिए चर्चा में आए थे। इससे गांव के दलितों और ठाकुरों में तनाव पैदा हो गया था।
आजाद लंबी मूंछे भी रखते हैं। आमतौर पर ऐसी मूंछे उच्च जाति के लोग रखते हैं इसलिए उनकी मूंछों और छवि को उच्च जाति के वर्चस्व को चुनौती की तरह माना जाता है।
भीम आर्मी
2014 में बनाई थी भीम आर्मी
चंद्रशेखर आजाद ने विनय रतन आर्य के साथ मिलकर 2014 में बहुजन संगठन भीम आर्मी की शुरूआत की थी।
दलित चिंतक सतीश कुमार के दिमाग की उपज मानी जाने वाली भामी आर्मी को भारत एकता मिशन के नाम से भी जाना जाता है और ये हाशिए पर पड़े दलित लोगों के लिए काम करती है।
भीम आर्मी दलित शब्द के उपयोग के खिलाफ है और ये संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के विचारों पर चलती है।
जानकारी
आजाद पर लगाया गया था NSA, 15 महीने जेल में रहे
2017 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में राजपूतों और दलितों के बीच हिंसक झड़प के बाद आजाद को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार किया गया था और वे 15 महीने जेल में रहे थे।
नागरिकता कानून
नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों से बड़े नेता बनकर उभरे आजाद
नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ हो रहे प्रदर्शनों ने आजाद को एक बड़ा और गंभीर नेता बनकर उभरने में मदद की।
पुलिस के कड़े पहरे के बावजूद वो 20 जनवरी को दिल्ली की जामा मस्जिद में CAA विरोधी प्रदर्शन में शामिल हुए। उन्होंने जंतर मंतर तक मार्च निकालने की कोशिश भी की लेकिन पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
इसके अलावा अन्य कई शहरों में भी वे प्रदर्शनों में शामिल हुए और इस दौरान उन्हें कई बार गिरफ्तार किया गया।
जानकारी
हाथरस गैंगरेप मामले में भी आजाद ने मुखरता से उठाई थी आवाज
इसके अलावा आजाद ने हाथरस गैंगरेप केस में भी दलित पीड़िता के समर्थन में जमकर आवाज उठाई थी और पीड़िता के परिवार से मिलने भी पहुंचे थे। मामले में उच्च जाति के चार युवकों पर पीड़िता का गैंगरेप और उसकी हत्या करने का आरोप है।
राजनीति
मुस्लिमों और दलितों को एकजुट करने की कोशिश में आजाद
माना जाता है कि आजाद का लक्ष्य मुस्लिम और दलित वोट बैंक को एकजुट करना है और अगर वे इसमें कामयाब रहते हैं तो यह राजनीतिक तौर पर उनके लिए जिताऊ फॉर्मूला हो सकता है।
वह अपने इन प्रयासों में वह कुछ हद तक सफल भी हुए हैं और CAA विरोधी प्रदर्शनों में शामिल होकर उन्होंने मुस्लिमों का भरोसा जीतने का काम किया। वहीं मायावती से अलग राजनीतिक विकल्प तलाश रहे दलितों में आजाद पहले से ही लोकप्रिय हैं।
जानकारी
इन भारतीय मूल के लोगों को भी मिली टाइम मैगजीन की सूची में जगह
जिन अन्य भारतीय मूल के लोगों को टाइम मैगजीन की सूची में जगह मिली है, उनमें यूनाइटेड किंगडम (UK) के वित्त मंत्री ऋषि सुनक, इंस्टाकार्ट के संस्थापक अपूर्व मेहता, गेट अस PPE की कार्यकारी निदेशक शिखा गुप्ता और अपसॉल्व की संस्थापक रोहन पावुलुरी शामिल हैं।