पीलिया रोग के जोखिमों को कम करने में सक्षम हैं ये प्राणायाम, ऐसे करें अभ्यास
क्या है खबर?
पीलिया लिवर से जुड़ा रोग है, जिससे ग्रस्ति व्यक्ति की त्वचा का रंग, श्लेष्मा झिल्ली (mucous membrane) और आंखों का रंग पीला हो जाता हैं।
इसके अतिरिक्त, व्यक्ति खुद को मानसिक और शारीरिक दोनों तरह से कमजोर महसूस करता है। हालांकि, कुछ प्राणायामों के नियमित अभ्यास से इस रोग के जोखिमों को कम करने में काफी मदद मिल सकती है।
आइए आज आपको ऐसे ही प्राणायामों के अभ्यास का तरीका बताते हैं।
#1
भ्रामरी प्राणायाम
भ्रामरी प्राणायाम के लिए योगा मैट पर पद्मासन की स्थिति में बैठ जाएं।
अब अपने दोनों हाथों को कोहनियों से मोड़कर अपने कानों के पास लाएं और अंगूठों से अपने दोनों कानो को बंद करें, फिर हाथों की तर्जनी उंगलियों को माथे पर और मध्यमा, अनामिका और कनिष्का उंगली को बंद आंखों के ऊपर रखें।
इसके बाद मुंह बंद करें और नाक से सांस लेते हुए ओम का उच्चारण करें। कुछ मिनट बाद धीरे-धीरे प्राणायाम को छोड़ दें।
#2
उद्गीथ प्राणायाम
उद्गीथ प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर सुखासन की मुद्रा में बैठें और अपने दोनों हाथों को घुटनों पर ज्ञान मुद्रा में रख लें।
अब दोनों आंखों को बंद करके गहरी सांस लें और इसे धीरे-धीरे छोड़ते हुए ओम का जाप करें। ध्यान रखें की जब आप यह उच्चारण कर रहे हों, तब आपका ध्यान आपकी सांसों पर केंद्रित हो।
शुरूआत में इस प्राणायाम का अभ्यास 5-10 मिनट तक करें और फिर धीरे-धीरे समय बढ़ाएं।
#3
शीतकारी प्राणायाम
शीतकारी प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर किसी आरामदायक मुद्रा में बैठें।
अब जीभ को ऊपर की ओर रोल करें और इससे ऊपरी तालु को छुएं। इसके बाद दांतों को एक साथ मिलाएं और होठों को अलग रखें ताकि दांत दिखें। फिर धीरे से लंबी सांस लें। इस दौरान मुंह से 'हिस' की आवाज उत्पन्न होगी।
इसके बाद अपने होंठों को आपस में मिलाकर नाक से सांस को धीरे से छोड़े। इस प्रक्रिया को लगभग 20-25 बार दोहराएं।
#4
शीतली प्राणायाम
शीतली प्राणायाम के लिए सबसे पहले योगा मैट पर किसी भी आरामदायक स्थिति में बैठें और आंखें बंद करें।
अब अपने हाथों को ज्ञानमुद्रा में घुटनों पर रखकर अपनी जीभ से नली का आकार बना लें। दोनों किनारों से जिह्वा को मोड़कर पाइप का आकार बना लें, फिर इसी स्थिति में लंबी और गहरी सांस लेकर जीभ को अंदर करके मुहं को बंद करें।
इसके बाद अपनी नाक के जरिए धीरे-धीरे सांस निकालें। इस प्रक्रिया को 20-25 बार दोहराएं।