महाकुंभ जाने से पहले जान लीजिए प्रयागराज में मौजूद सभी घाटों में स्नान करने का महत्त्व
क्या है खबर?
13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होने वाला है, जो कि हिंदू धर्म में विशेष मान्यता रखता है।
इस पावन अवसर पर दुनियाभर के लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। महाकुंभ के दौरान भक्तजन संगम तट पर स्नान कर सकेंगे और अपने मन को शुद्ध कर सकेंगे।
हालांकि, यहां केवल एक ही नहीं, बल्कि कई पवित्र घाट मौजूद हैं। आइए प्रयागराज के घाटों का महत्त्व जानते हैं।
#1
राम घाट
प्रयागराज की पावन धरती पर स्थित राम घाट का उल्लेख रामायण में भी मिलता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने अपने वनवास के दौरान इस स्थान पर कुछ देर समय बिताया था।
राम घाट पर आकर लोग विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान, पूजा और आरती करते हैं।
माना जाता है कि इस घाट पर स्नान करने और पूजा करने से सभी पाप धुल जाते हैं और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
#2
अरैल घाट
अरैल घाट त्रिवेणी संगम के पास स्थित है, जहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां एक दूसरे में मिलती हैं। हिंदू धर्म में त्रिवेणी संगम को बहुत पवित्र माना जाता है, जिसमें स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
अरैल घाट की पवित्रता इसी त्रिवेणी संगम से जुड़ी है। महर्षि महेश योगी द्वारा यहां एक बड़ा आश्रम और विद्यालय स्थापित किया गया है, जो योग और ध्यान लगाने की शिक्षा प्रदान करता है।
#3
दशाश्वमेध घाट
दशाश्वमेध घाट प्रयागराज के सबसे प्रमुख घाटों में से एक है। इसका नाम अश्वमेध यज्ञ से जुड़ा है, जो राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए करवाया था।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, राजा भगीरथ ने इसी घाट पर अश्वमेध यज्ञ किया था। यहां नियमित रूप से भव्य गंगा आरती का आयोजन किया जाता है।
श्रद्धालु इस घाट पर स्नान करके अपने पापों को धो सकते हैं और मन को शुद्ध कर सकते हैं।
#4
लक्ष्मी घाट
लक्ष्मी घाट के नाम से ही पता चलता है कि यह धन की देवी माता लक्ष्मी से संबंधित है।
ऐसी मान्यता है कि इस घाट पर पूजा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को धन, वैभव और समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
आप महाकुंभ के दौरान भी इस घाट पर जा सकते हैं और स्नान करके मां लक्ष्मी की कृपा पा सकते हैं।
महाकुंभ में शामिल होते समय खाएं प्रयागराज के मशहूर पकवान।