प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से राहत पाने के लिए अपनाएं ये तरीके
जैसे-जैसे पीरियड्स आने की तारीख नजदीक आती है, वैसे-वैसे कई महिलाओं को पेट में दर्द, सिरदर्द, जोड़ों का दर्द, चिड़चिड़ापन, मूड में बदलाव और अवसाद जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इस स्थिति को चिकित्सक भाषा में प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) कहा जाता है। विशेषज्ञों की मानें तो प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होने का मुख्य कारण पीरियड्स से पहले हार्मोन्स स्तर में बदलाव को माना जा सकता है। आइए आज प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से राहत दिलाने वाले कुछ तरीकों के बारे में जानते हैं।
खान-पान पर दें अतिरिक्त ध्यान
अगर आपको प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम होता है तो आप अपने खान-पान पर अतिरिक्त ध्यान देकर इससे बच सकते हैं। उदाहरण के लिए अपनी डाइट में संतुलित आहार को शामिल करें और जंक फूड से दूरी बनाएं। इसके अतिरिक्त, खूब सारा पानी पीने के साथ ही फलों के ताजे रस का सेवन करें। आप चाहें तो अपनी डाइट में शुद्ध दुग्ध उत्पादों को भी हिस्सा बना सकते हैं। हालांकि, ध्यान रखें कि दुग्ध उत्पाद अधिक वसा युक्त न हो।
हीटिंग पैड का करें इस्तेमाल
जिस तरह से पीरियड्स के दौरान होने वाली समस्याओं से राहत दिलाने में गर्म सिकाई मदद कर सकती है, उसी तरह प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के दौरान होने वाले दर्द से राहत पाने के लिए हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें। कई अध्ययनों के मुताबिक, हीटिंग पैड का असर प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के प्रभाव को कम करने के लिए ली जाने वाली इबुप्रोफेन जैसी दर्द निवारक दवाईयों की तरह काम करता है। इसलिए यह तरीका महिलाओं के लिए काफी राहत भरा हो सकता है।
कैमोमाइल चाय का सेवन है कारगर
हर्बल टी का सेवन न सिर्फ स्वस्थ रखने में मदद करती है बल्कि प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के दौरान महिलाओं को होने वाली समस्याओं से भी काफी राहत प्रदान करती है। वैसे तो बहुत सी हर्बल टी है, जिनका सेवन इस समस्या से राहत पाने के लिए किया जा सकता है, लेकिन कैमोमाइल चाय की बात ही अलग है। दरअसल, इसमें फ्लेवोनॉइड्स होते हैं जो एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों को प्रदर्शित करके दर्द और चिड़चिड़ापन आदि को कम करने में मददगार हैं।
योगाभ्यास करना भी है सही
प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम से योगाभ्यास भी काफी हद तक निजात दिला सकता है। योग करने के अनेकों फायदे मिलते हैं और प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के प्रभाव को कम करने में भी योगाभ्यास काफी कारगार साबित हो सकता है। हालांकि, प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम के दौरान ऐसे योगासनों का चयन करें जिससे पेट पर अधिक प्रभाव न पड़े और ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने में मदद मिल सकें। इससे न सिर्फ दर्द बल्कि मूड स्विंग से भी छुटकारा मिल सकता है।