महिलाओं के दिमागी स्वास्थ्य को जीवनभर के लिए प्रभावित कर सकती है घरेलू हिंसा- अध्ययन
क्या है खबर?
भारत में कई शादीशुदा महिलाएं घरेलू हिंसा का सामना कर रही हैं। अध्ययनों से पता चलता है कि 18-49 साल की आयु के बीच की लगभग 32 प्रतिशत विवाहित महिलाओं के पति उन्हें मारते-पीटते हैं।
वहीं, 29 प्रतिशत ने शारीरिक और यौन हिंसा का सामना किया है।
इसी बीच एक ऐतिहासिक अध्ययन किया गया है, जिसमें सामने आया है कि जो महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं, उनके दिमाग का स्वास्थ्य जीवनभर के लिए प्रभावित हो जाता है।
अध्ययन
स्कॉटलैंड के विश्वविद्यालय में हुआ अध्ययन
स्कॉटलैंड के ग्लासगो विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने यह अध्ययन किया है, जिसे BMJ मानसिक स्वास्थ्य नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश की गई थी कि घरेलू हिंसा और दर्दनाक दिमागी चोट का मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है।
पता चला कि घरेलू हिंसा की शिकार महिलाओं को कई सालों बाद भी दिमाग संबंधी चोट और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा रहता है।
नाम
3 में से एक महिला होती है घरेलू हिंसा का शिकार
इस अध्ययन को 'अंतरंग साथी द्वारा हिंसा, दर्दनाक मस्तिष्क की चोट और मध्य-जीवन में दीर्घकालिक मानसिक स्वास्थ्य परिणाम' और 'द ड्रेक IPV स्टडी' नाम दिया गया था।
इस अध्ययन को कई संस्थाओं ने मिलकर फंड किया था। शोधकर्ताओं ने बताया कि दुनियाभर में लगभग 3 में से एक महिला घरेलू हिंसा का अनुभव करती है और उनके मानसिक स्वास्थ्य पर उसका असर दशकों तक रहता है।
इसके कारण उन्हें पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) जैसे मानसिक विकार हो जाते हैं।
प्रक्रिया
632 महिलाएं बनी इस अध्ययन का हिस्सा
इस अध्ययन को पूरा करने के लिए 40 से 59 साल की उम्र वाली 632 महिला प्रतिभागियों के डाटा का विश्लेषण किया गया था।
इनमें से 14 प्रतिशत महिलाओं ने बताया कि उन्होंने अपने जीवन में घरेलू हिंसा और शारीरिक दुर्व्यवहार को सहन किया है।
इस अध्ययन को ड्रेक फाउंडेशन, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ, मेडिकल रिसर्च काउंसिल, NHS रिसर्च स्कॉटलैंड, अल्जाइमर सोसाइटी और अल्जाइमर एसोसिएशन द्वारा आर्थिक सहायता मिली थी।
नतीजे
घरेलू हिंसा झेलने के 27 साल बाद भी नहीं सुधरता स्वास्थ्य
आंकड़ों की जांच के बाद पता चला कि जिन महिलाओं के साथ उनके पार्टनर घरेलू हिंसा या शारीरिक दुर्व्यवहार करते हैं, उनमें अभिघातजन्य मस्तिष्क चोटों (TBI) का जोखिम ज्यादा होता है।
साथ ही वे आजीवन अवसाद, तनाव, चिंता, नींद से जुड़ी बीमारियों और PTSD का शिकार रहती हैं।
विश्लेषण में यह भी पाया गया कि हिंसा के संपर्क में आने के औसतन 27 साल बाद भी इन महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य विकारों का जोखिम कम नहीं होता है।
सलाह
इस मुद्दे के बारे में होनी चाहिए और चर्चा- शोधकर्ता
शोधकर्ताओं ने कहा, "घरेलू हिंसा के संपर्क में आने वाली महिलाओं में से अधिकांश ने सिर पर बार-बार चोट लगने और हल्के TBI के इतिहास की सूचना दी। पार्टनर द्वारा की जाने वाली हिंसा की वैश्विक व्यापकता को देखते हुए ये निष्कर्ष इस क्षेत्र में और ज्यादा शोध की आवश्यकता को उजागर करते हैं।"
उनका कहना है कि नीति निर्माताओं और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के बीच इस मुद्दे के बारे में जागरुकता बढ़ाने की सख्त जरूरत है।