उत्तराखंड की पारंपरिक कला शैली है ऐपण, जानिए इसके बारे में सभी जरूरी बातें
क्या है खबर?
ऐपण उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र की एक पारंपरिक लोक कला है, जो बेहद खूबसूरत होती है।
यह अपने जटिल पैटर्न के लिए जानी जाती है, जो आमतौर पर लाल गेरू पर सफेद चावल के पेस्ट का उपयोग करके बनाई जाती है।
ऐपण चित्रकला अक्सर विशेष अवसरों, धार्मिक समारोहों और घरेलू अनुष्ठानों के लिए बनाई जाती है।
आइए आज इस लोक कला के बारे में विस्तार से जानते हैं और इसे बनाने के तरीके पर भी नजर डालते हैं।
ऐपण
क्या होती है ऐपण लोक कला?
ऐपण शब्द 'अर्पण' शब्द से बना है, जिसका मतलब होता है 'लिखाई'। यह एक तरह की लोक कला है, जिसे उंगलियों की मदद से बनाया जाता है।
ऐपण कला जन्म, जनेऊ, शादी और मृत्यु से जुड़ी पूजा, त्योहारों और समारोहों के दौरान बनाई जाती है।
उत्तराखंड की महिलाएं ही दीवारों, फर्श, गमलों, चौखट और थाली आदि पर ऐपण बनाती हैं, जो घर की सजावट करने का अच्छा तरीका होता है।
सामान
ऐपण बनाने के लिए लगेगी ये सामग्री
ऐपण बनाने के लिए आपको कुछ सामग्रियों की जरूरत पड़ेगी, जो आसानी से उपलब्ध होती हैं। इसके सबसे अहम तत्व होते हैं चावल का पेस्ट और गेरू।
पहले ऐपण का रंग भिगोए हुए चावल को पीसकर बनाया जाता था, लेकिन अब लोग इसके लिए सफेद पेंट का भी इस्तेमाल करते हैं।
महिलाएं इस कला को चौकियों पर बनाती हैं, जो आम की लकड़ी से बनाई जाती हैं। दीवारों पर ऐपण बनाने के लिए गेरू मिट्टी को मिलाकर लेपा जाता है।
तरीका
जानिए इस कला को करने का तरीका
ऐपण बनाने के लिए एक चिकनी सतह पर गीली गेरू मिट्टी का लेप लगाएं और उसे सूख जाने दें। जब सहत का रंग लाल हो जाए तब उसपर चित्रकला करना शुरू कर दें।
सफेद पेस्ट तैयार करने के लिए चावल को पका लें और पानी के साथ पीस लें। इस पेस्ट को बिस्वार के नाम से जाना जाता है और इससे ही पैटर्न बनाए जाते हैं।
अब अपनी तर्जनी, अनामिका और मध्यमा उंगलियों की मदद से पारंपरिक डिजाइन बनाएं।
प्रकार
कितने प्रकार के होते हैं ऐपण?
ऐपण के कई प्रकार होते हैं, जो अलग-अलग अवसरों पर बनाए जाते हैं। जब कोई बच्चा पढ़ना शुरू करता है, तब सरस्वती चौकी बनाई जाती है।
वहीं, यज्ञ के दौरान चामुंडा हस्त चौकी, देवी पूजा के दौरान नव दुर्गा चौकी, सावन में शिव चौकी, बच्चे के नामकरण पर सूर्य दर्शन चौकी और जनेऊ पर जनेऊ चौकी बनाई जाती है।
इनके अलावा, धुली अर्घ्य चौकी, आचार्य चौकी, दुर्गा थापा, ज्योति पट्टा और लक्ष्मी यंत्र भी बनाए जाते हैं।