
क्या है कलमकारी? जानिए इस प्राचीन भारतीय कला से जुड़ी अहम बातें
क्या है खबर?
कलमकारी एक पुरानी भारतीय कला है, जो मुख्य रूप से आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में प्रचलित है।
इस कला में कपड़ों पर हाथ से चित्रकारी की जाती है और इसमें धार्मिक, पौराणिक और लोककथा आधारित चित्र बनाए जाते हैं।
कलमकारी का इतिहास लगभग 3,000 साल पुराना है और इसे भारत के सबसे पुराने चित्रण विधियों में से एक माना जाता है।
इस लेख में हम आपको कलमकारी से जुड़ी कुछ अहम बातें बताएंगे।
इतिहास
कलमकारी का इतिहास
कलमकारी का इतिहास प्राचीन भारतीय सभ्यता से जुड़ा हुआ है। यह माना जाता है कि यह कला मूल रूप से ईरान से भारत आई थी और समय के साथ इसमें भारतीय तत्व जुड़े।
शुरुआती कलमकारी चित्रण धार्मिक कहानियों, पौराणिक कथाओं और लोककथाओं पर आधारित होते थे।
इन चित्रों में भगवान राम, भगवान कृष्ण, देवी-देवताओं और अन्य पौराणिक पात्रों को दिखाया जाता था। समय के साथ इस कला में नए रंग और तकनीक शामिल हुए।
प्रक्रिया
कलमकारी की प्रक्रिया
कलमकारी की प्रक्रिया बहुत ही जटिल और समय लेने वाली होती है। इसमें पहले कपड़े पर डिजाइन बनाए जाते हैं, फिर उन्हें रंगा जाता है।
पारंपरिक रूप से यह काम हाथ से किया जाता है जिसमें लकड़ी की छापे का उपयोग होता है। रंगों के लिए प्राकृतिक सामग्री जैसे फूल, पत्ते और कीड़े आदि का उपयोग किया जाता है।
इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं, जिनमें डिजाइन बनाना, रंगना और सुखाना शामिल हैं।
प्रकार
कलमकारी के प्रकार
कलमकारी मुख्य रूप से दो प्रकार की होती है: मछ्लीपट्टम और चेन्नपट्टम।
मछ्लीपट्टम में कपड़े पर मछली के आकार बनाए जाते हैं जबकि चेन्नपट्टम में फूल-पत्तियों आदि के आकार बनाए जाते हैं।
इसके अलावा आजकल बाजार में मशीनों द्वारा बनाई गई कलमकारी भी उपलब्ध हैं। हालांकि, पारंपरिक कलमकारी की अपनी अलग पहचान होती है और उसे बनाने में बहुत मेहनत लगती है।
उपयोग
कलमकारी कपड़ों का उपयोग
कलमकारी कपड़े अलग-अलग प्रकार के वस्त्रों जैसे साड़ी, कुर्ता-पजामा, दुपट्टा आदि में उपयोग किए जाते हैं।
इन कपड़ों का पहनावा खास अवसरों पर किया जाता है जैसे त्योहार, शादी-ब्याह आदि।
इसके अलावा कलमकारी वाले पर्दे, तकिए के खोल, दीवार घड़ी आदि भी बनाए जाते हैं।
इन सभी वस्त्रों में पारंपरिक डिजाइनों के साथ-साथ आधुनिक डिजाइन भी किए जाते हैं, ताकि वे बाजार में उपलब्ध अन्य वस्त्रों से अलग दिखें।
भविष्य
कलमकारी कला का भविष्य
कलमकारी कला आजकल नई पीढ़ी द्वारा सीखी जा रही है जिससे यह कला जीवित रह सकी है।
स्कूलों और कॉलेजों में इसके कोर्स चलाए जा रहे हैं ताकि युवा पीढ़ी इस अहम सांस्कृतिक धरोहर को जान सके और आगे बढ़ा सके।
कुल मिलाकर कलमकारी केवल एक कला नहीं बल्कि भारतीय संस्कृति का अहम हिस्सा है जिसे संजोए रखना हमारी जिम्मेदारी बनती है।