
कंगारू के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया का मशहूर जानवर है कोआला, जानिए इससे जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
क्या है खबर?
कंगारू के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया का मशहूर जानवर कोआला भी अपनी अलग पहचान रखता है। यह दिखने में इतना प्यारा लगता है कि बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को बहुत पसंद आता है, लेकिन क्या आपको पता है कि यह एक ऐसा जानवर है, जो सिर्फ एक ही पेड़ की पत्तियां खाता है? आइए आज हम आपको कोआला से जुड़े कुछ ऐसे ही महत्वपूर्ण तथ्य बताते हैं, जो आपको हैरान कर देंगे।
#1
सिर्फ एक पेड़ की पत्तियां खाता है कोआला
कोआला की पसंदीदा पत्तियां नीलगिरी के पेड़ की होती हैं। ये पत्तियां बहुत खास होती हैं क्योंकि इनमें बहुत पोषण होता है, लेकिन इन्हें पचाना कोआला के लिए बहुत मुश्किल काम है। इसलिए कोआला दिन में लगभग 18 घंटे सोता है ताकि वह इन पत्तियों को पचाने के लिए पर्याप्त आराम कर सके। इसके अलावा कोआला को नीलगिरी की 50 से ज्यादा प्रजातियों में से किसी एक ही प्रजाति की पत्तियां खाना पसंद है।
#2
कोआला के पास नहीं होते कोई विशेष गुण
कोआला के पास कोई खास गुण नहीं होता है, जैसे कि तेज दौड़ना या ऊंचाई पर चढ़ना। फिर भी यह आसानी से पेड़ों पर चढ़ सकता है और पेड़ों के बीच कूद सकता है। दरअसल, कोआला का पंजा कछुए के पंजे जैसा होता है, जिसमें नाखून होते हैं, जो उन्हें पेड़ों पर चढ़ने और कूदने में मदद करते हैं। इसके अलावा इनके पंजों में एक खास तरह का ग्रीस होता है।
#3
कोआला का नाम कैसे पड़ा?
कोआला का नाम कैसे पड़ा, इसके पीछे कोई ठोस प्रमाण नहीं है। कुछ लोग मानते हैं कि यह नाम 'क्वाला' शब्द से लिया गया था, जिसका मतलब होता है 'जो कुछ नहीं करता' यानी जो सिर्फ आराम करता रहता है। वहीं कुछ लोग मानते हैं कि यह नाम आदिवासी भाषा से लिया गया था, जिसमें 'क्वाला' का मतलब सरलता होता है। हालांकि, कोआला का वास्तविक नाम क्या है, यह अभी तक स्पष्ट नहीं है।
#4
कोआला के पास होती है अद्भुत सुनने की क्षमता
कोआला के पास अद्भुत सुनने की क्षमता होती है, जो इसे जंगल में रहने वाले अन्य जानवरों से अलग करती है। इसके अलावा कोआला अपनी आवाज से भी खास पहचान बनाता है। नर कोआला की आवाज बहुत ही अनोखी होती है, जो गहरी और खरखरी जैसी होती है। यह आवाज सुनने में अजीब लगती है, लेकिन यह बहुत ही प्रभावशाली होती है। नर कोआला अपनी आवाज से ही अपनी क्षेत्रीय सीमाओं को दर्शाता है।
#5
कोआला का जीवनकाल और संरक्षण
कोआला का जीवनकाल लगभग 10-12 साल होता है। हालांकि, मानव गतिविधियों और मौसम में बदलाव के कारण इनकी संख्या में कमी आ रही है। इसलिए इनका संरक्षण बहुत जरूरी है। इस प्रकार कोआला एक अनोखा जानवर है, जो हमें यह सिखाता है कि प्रकृति कितनी विविधतापूर्ण हो सकती है। इसके अलावा यह हमें यह भी याद दिलाता है कि हमें पर्यावरण की रक्षा करनी चाहिए ताकि ऐसे अनोखे जीव सुरक्षित रह सकें।