अक्किनेनी नागार्जुन 65 की उम्र में भी हैं बेहद फिट, जानिए कैसे रखते हैं अपना ख्याल
क्या है खबर?
साउथ इंडस्ट्री के सुपरस्टार अक्किनेनी नागार्जुन के चर्चे पूरे भारत में होते हैं। वह 65 साल के होने के बाद भी जवान नजर आते हैं और उनके आगे कई युवा अभिनेता भी फेल हो जाते हैं। नागार्जुन न केवल नियमित रूप से एक्सरसाइज करते हैं, बल्कि अपनी डाइट का भी खास ख्याल रखते हैं। अभिनेता की सेहत का श्रेय इंटरमिटेंट फास्टिंग को भी जाता है। आइए जानते हैं नागार्जुन कैसे अपने आपको सेहतमंद रखते हैं।
एक्सरसाइज
एक्सरसाइज को देते हैं प्राथमिकता
नागार्जुन पिछले 35 सालों से एक सख्त फिटनेस रूटीन का पालन करते हैं, जिसे वह अपनी सेहत का आधार मानते हैं। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि वह अपने दिन की शुरुआत एक्सरसाइज करके ही करते हैं। चाहे वह कितने भी व्यस्त क्यों न हों, वह रोजाना समय निकालकर कसरत जरूर करते हैं। उनके एक्सरसाइज रूटीन में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, कार्डियो, तैराकी और पैदल चलना शामिल होता है, जिससे उन्हें कई फायदे मिलते हैं।
हृदय गति
हर दिन एक घंटे करते हैं एक्सरसाइज
नागार्जुन हर दिन 45 मिनट से लेकर एक घंटे तक एक्सरसाइज करते हैं। वह हफ्ते में कम से कम 5 या 6 दिन कसरत करते हैं। नागार्जुन सलाह देते हैं कि एक्सरसाइज करते समय आपकी हृदय गति अधिक बनी रहनी चाहिए। उन्होंने हृदय गति को 70 प्रतिशत से ऊपर रखने और लंबे ब्रेक से बचने की भी सलाह दी। नागार्जुन मोबाइल फोन से दूर रहने के लिए भी कहते हैं, ताकि जरूरी चीजों से आपका ध्यान न भटके।
डाइट
कैसी है नागार्जुन की डाइट?
नागार्जुन कसरत करने से पहले एक पौष्टिक प्री-वर्कआउट मील लेते हैं। इसमें किमची, सॉकरक्राट या फेर्मेंटेड गोभी जैसे प्राकृतिक प्रोबायोटिक्स शामिल होते हैं। इन खाद्य पदार्थों को नागार्जुन एक गिलास गर्म पानी या कॉफी के साथ खाते हैं। दिन और रात के खाने में वह सब्जी, चावल और सलाद आदि जैसा सादा खाना ही खाते हैं। इस तरह की डाइट उनके पाचन को दुरुस्त रखती है और उन्हें ऊर्जा भी प्रदान करती है।
इंटरमिटेंट फास्टिंग
शाम 7 बजे लेते हैं दिन का आखिरी भोजन
नागार्जुन केवल पौष्टिक चीजें खाते हैं और सेहतमंद बने रहने के लिए 12:12 इंटरमिटेंट फास्टिंग तकनीक अपनाते हैं। इसमें 12 घंटे तक ही खाना शामिल होता है और बचे हुए 12 घंटे उपवास रखना होता है। इस तरह की डाइट का पालन करने से वजन घटाने और उसे संतुलित बनाए रखने में मदद मिलती है। इतना ही नहीं, यह तकनीक ब्लड शुगर को नियंत्रित रखती है, चयापचय को मजबूत करती है और नींद की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।