
केरल की 5 प्रमुख लोक नृत्य, जानिए इनके बारे में
क्या है खबर?
केरल भारत के दक्षिणी भाग में स्थित एक राज्य है, जो अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और परंपराओं के लिए जाना जाता है। यहां कई तरह के लोक नृत्य शैलियां हैं, जो राज्य की संस्कृति और इतिहास को दर्शाती हैं। ये नृत्य न केवल मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को भी उजागर करते हैं। आइए केरल के प्रमुख लोक नृत्यों के बारे में जानते हैं।
#1
कथकली
कथकली केरल की सबसे प्रसिद्ध लोक नृत्य में से एक है। यह नृत्य धार्मिक कहानियों और पौराणिक कथाओं पर आधारित होता है। इसमें कलाकार विशेष मेकअप और भव्य पोशाक पहनकर विभिन्न पात्रों का अभिनय करते हैं। कथकली का प्रदर्शन रातभर चलता है और इसमें संगीत, नृत्य और अभिनय का मेल होता है। यह नृत्य भगवान विष्णु, शिव और देवी दुर्गा आदि की कहानियों को जीवंत करती है।
#2
मोहिनीअट्टम
मोहिनीअट्टम केरल का एक अन्य लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो महिलाओं द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें शरीर की लयबद्ध हरकतें होती हैं, जो देखने में बहुत आकर्षक लगती हैं। मोहिनीअट्टम का प्रदर्शन देवी मोहिनी की कहानी पर आधारित होता है, जिसमें वह आसुरी सेना को पराजित करती हैं। इस नृत्य में संगीत, नृत्य और अभिनय का मेल होता है, जो इसे बेहद सुंदर बनाता है।
#3
तेय्यम
तेय्यम केरल का एक अनोखा लोक नृत्य है, जिसमें पुरुष कलाकार देवी-देवताओं के रूप में सजते हैं और अपने अभिनय से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं। तेय्यम का प्रदर्शन मंदिरों के पास स्थित छोटे मंदिरों में किया जाता है। इस नृत्य में कलाकार विशेष मेकअप करते हैं और भव्य पोशाक पहनते हैं। तेय्यम का प्रदर्शन धार्मिक अनुष्ठानों का हिस्सा होता है और इसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं।
#4
कूडियाट्टम
कूडियाट्टम केरल की एक प्राचीन नाट्य कला शैली है, जो मंदिरों में प्रस्तुत होती थी। इसमें संगीत, नृत्य और अभिनय का मेल होता था। कूडियाट्टम को देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। इसमें कलाकार विशेष मेकअप करते थे और भव्य पोशाक पहनते थे। कूडियाट्टम के प्रदर्शन में धार्मिक अनुष्ठान शामिल होते थे। यह नृत्य भगवान शिव और देवी पार्वती की कहानियों को जीवंत करती थी।
#5
ओप्पना
ओप्पना मुस्लिम समुदाय द्वारा प्रस्तुत किया जाने वाला एक लोकप्रिय लोक नृत्य है, जो शादी समारोहों में किया जाता था। इसमें महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर गाती-नाचती थीं और अपने कौशल का प्रदर्शन करती थीं। ओप्पना के प्रदर्शन में संगीत, नृत्य और गीतों का मेल होता था। यह नृत्य मुस्लिम संस्कृति की झलक दिखाती थी और इसे देखने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते थे। ओप्पना के प्रदर्शन में कलाकार पारंपरिक संगीत के सामान का उपयोग करते थे।