भारत के ये 5 जानवर हैं लुप्तप्राय, इनके संरक्षण पर तत्काल देना चाहिए ध्यान
क्या है खबर?
मानव हर नए दिन के साथ तरक्की कर रहा है और अपने लिए सुविधाजनक उपकरण बनाता जा रहा है। इससे हमारा जीवन तो आसान हो रहा है, लेकिन प्रकृति के बीच रहने वाले जानवर बेघर हो रहे हैं।
बढ़ते प्रदूषण, कटते जंगल और बढ़ती जनसंख्या के चलते कई भारतीय जानवर लुप्त होने की कगार पर आ गए हैं।
भारत के ये 5 जानवर आज के समय में सबसे लुप्तप्राय हैं, जिनके संरक्षण पर ध्यान देना बेहद जरूरी है।
#1
बंगाल टाइगर
अंतरराष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) ने बंगाल टाइगर को लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में रखा है।
दशकों से इस जानवर का अवैध तरीके से शिकार किया जा रहा है और जंगल कटने के कारण भी इनकी संख्या लगातार घटती जा रही है।
संरक्षण प्रयासों के बावजूद भी बंगाल टाइगर की आबादी बेहद कम बनी हुई है। आज के समय में दुनिया में महज 3,682 बंगाल टाइगर ही बचे हैं, जिनमें से अधिकांश भारत में रहते हैं।
#2
हिम तेंदुआ
वर्तमान में IUCN द्वारा हिम तेंदुए को लुप्तप्राय घोषित नहीं किया गया है। हालांकि, इन्हें 'असुरक्षित' माना जाता है और कहा जाता है कि इनके विलुप्त होने का उच्च जोखिम है।
पहले ये तेंदुए एशिया के सभी पहाड़ी इलाकों में नजर आते थे। हालांकि, अब ये केवल लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और हिमालय के पश्चिमी और पूर्वी भागों में ही पाए जाते हैं।
2019-2023 के बीच किए गए आकलन के मुताबिक, भारत में अब केवल 718 हिम तेंदुए बचे हैं।
#3
कश्मीरी हंगुल
कश्मीरी हंगुल भारत के सबसे लुप्तप्राय जानवरों में से एक हैं, जिन्हें लाल हिरण भी कहते हैं। यह प्रजाति अब दाचीगाम राष्ट्रीय उद्यान के 141 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में ही सीमित रह गई है।
1990 के दशक की शुरुआत में लाल हिरणों की संख्या लगभग 5,000 होने का अनुमान लगाया गया था, लेकिन 1970 में यह संख्या घटकर लगभग 150 रह गई और 2015 में लगभग 110-130 रह गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, वर्तमान में इनकी संख्या 289 हो गई है।
#4
कृष्णमृग
आज के समय में कृष्णमृग यानि काले हिरण भारत में सबसे लुप्तप्राय प्रजातियों की सूची में शामिल किए जाते हैं। 1947 में यहां करीब 80,000 काले हिरण थे।
हालांकि, 20 साल से भी कम समय में यह संख्या घटकर 8,000 रह गई। संरक्षण प्रयासों के बावजूद भी इनकी संख्या केवल 25,000 तक ही बढ़ सकी है।
इनकी संख्या को बढ़ाने के लिए इन्हें अर्जेंटीना और अमेरिका भी भेजा गया है।
#5
एशियाई शेर
2010 से एशियाई शेर को IUCN द्वारा लुप्तप्राय जानवरों की लाल सूची में शामिल किया गया है। ये शेर ऐतिहासिक रूप से दक्षिण-पश्चिम एशिया से लेकर पूर्वी भारत तक के मूल निवासी थे।
हालांकि, अब इस प्रजाति की पूरी आबादी केवल भारत में ही पाई जाती है और गिर राष्ट्रीय उद्यान और गुजरात के आसपास के इलाकों तक ही सीमित है।
भारत में एशियाई शेरों की हालिया गिनती 2020 में हुई थी, जिसके मुताबिक ये केवल 674 ही बचे हैं।