पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के बारे में बताती हैं ये 5 किताबें, जानिए
आयुर्वेद के नाम से जानी जाने वाली पारंपरिक भारतीय चिकित्सा एक प्राचीन और समृद्ध चिकित्सा प्रणाली है। यह सदियों से मानव स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में अहम भूमिका निभा रही है। आयुर्वेदिक ज्ञान को समझने और अपनाने के लिए कई जरूरी किताबें उपलब्ध हैं। आइए आज हम आपको पांच ऐसी किताबों के बारे में बताते हैं, जो आयुर्वेद के सिद्धांतों, अभ्यास और ऐतिहासिक महत्व को विस्तार से समझाने में मदद करती हैं।
सुश्रुत संहिता
सुश्रुत संहिता आयुर्वेद की सबसे प्राचीन और अहम किताबों में से एक है। यह किताब शल्य चिकित्सा के विस्तृत विवरण के लिए मशहूर है। हिंदी अनुवाद में उपलब्ध इस किताब में 186 अध्याय हैं, जिनमें 1,120 बीमारियों के बारे में बताया गया है। इसमें 700 औषधीय पौधों, 64 खनिज स्रोतों और 57 जानवरों से प्राप्त औषधियों का विवरण भी है। यह किताब चिकित्सकों और आम पाठकों के लिए उपयोगी हो सकती है, जो आयुर्वेदिक चिकित्सा को समझना चाहते हैं।
आयुर्वेद: स्वास्थ्य का विज्ञान
डॉक्टर वासंत लाड द्वारा लिखित 'आयुर्वेद: स्वास्थ्य का विज्ञान' सरल तरीके से आयुर्वेद के सिद्धांतों और अभ्यास को प्रस्तुत करती है। इसमें पंच महाभूत, त्रिदोष, सप्तधातु जैसे सिद्धांतों को विस्तार से समझाया गया है। इसके अलावा इसमें कई खाद्य पदार्थों और मसालों के प्रभावों पर भी चर्चा की गई है, जो वात, पित्त, कफ दोष के अनुसार लाभदायक या हानिकारक होते हैं। यह उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जो जीवन में आयुर्वेदिक ज्ञान को शामिल करना चाहते हैं।
आयुर्वेदिक चिकित्सा के सिद्धांत
प्रोफेसर के. आर. श्रीवास्तव द्वारा लिखित 'आयुर्वेदिक चिकित्सा के सिद्धांत' एक व्यापक ग्रंथ है, जो आयुर्वेदिक फार्माकोलॉजी, फार्मेसी, निदान और चिकित्सा प्रोटोकॉल पर केंद्रित है। इस किताब में व्यावहारिक अनुप्रयोगों पर विशेष ध्यान दिया गया है, जिससे छात्रों और अभ्यासकर्ताओं को गहराई से ज्ञान प्राप्त हो सके। यह किताब न केवल छात्रों बल्कि उन सभी लोगों के लिए उपयोगी हो सकती है, जो पारंपरिक भारतीय चिकित्सा प्रणाली का अध्ययन करना चाहते हैं।
आयुर्वेद और मानसिक स्वास्थ्य
डॉक्टर डेविड फ्रॉली द्वारा लिखित 'आयुर्वेद और मानसिक स्वास्थ्य' मानसिक और भावनात्मक पहलुओं पर केंद्रित एक अहम ग्रंथ है। इसमें आयुर्वेदिक मनोविज्ञान और शरीर-मन प्रकार निर्धारण के लिए अलग-अलग परीक्षण विधियों का वर्णन किया गया है। यह किताब उन लोगों के लिए उपयुक्त होगी, जिन्होंने पहले ही कुछ हद तक आयुर्वेदीय ज्ञान अर्जित कर लिया हो और इसे गहराई से समझना चाह रहे हों।
भारतीय चिकित्सा का स्रोत
डॉक्टर कृष्णमूर्ति द्वारा लिखित 'भारतीय चिकित्सा का स्रोत' संस्कृत स्रोत ग्रंथों जैसे वेद-उपनिषद आदि उद्धरण सहित ऐतिहासिक और वैज्ञानिक नजरिया प्रदान करती हुई बहुत ही अहम संसाधन साबित हुई हैं। आधुनिक चिकित्सक और छात्र दोनों ही इससे लाभान्वित होकर वैज्ञानिक आधारभूत संरचना बेहतर ढंग से आत्मसात कर सकेंगे। इन किताबों ने पारंपरिक भारतीय चिकित्सकीय धरोहर समृद्ध बनाए रखने में अहम योगदान दिया है। इनके माध्यम से न केवल विद्यार्थी बल्कि सामान्यजन भी स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर लाभ उठा सकते हैं।