रोजाना सुबह जल्दी उठकर रियाज करने से गला बना रहेगा सुरीला, मिलेंगे ये अन्य फायदे
क्या है खबर?
हर गायक के लिए उसकी आवाज ही उसकी पहचान होती है और उसे सुरीला बनाए रखने के लिए रियाज बेहद जरूरी होता है।
यह अभ्यास न केवल आवाज को बेहतर बनाता है, बल्कि गले की मांसपेशियों को भी मजबूत करता है। रियाज करने से आवाज में स्थिरता आती है और सुर पक्के हो जाते हैं।
संगीतकार सुबह जल्दी उठकर ही रियाज करने की सलाह देते हैं, जिसके एक नहीं, बल्कि कई फायदे मिलते हैं। आइए इनके बारे में जानें।
#1
गला होता है सुरीला
सुबह-सुबह दिमाग ऊर्जा और ताजगी से भरा होता है। इसीलिए कहा जाता है कि सुबह का आधे घंटे का रियाज दिन के 4 घंटे के बराबर होता है।
सुबह निचले सुरों से ऊपर के सुरों तक जाने से गले की मांसपेशियां धीरे-धीरे गर्म होती हैं। इसके परिणामस्वरूप, गला और मधुर बन जाता है और आवाज साफ हो जाती है।
साथ ही सुबह के रियाज की मदद से मुर्कियां लेना आसान हो जाता है और आवाज में खनक आ जाती है।
#2
सुधरती है सुरों की समझ
अगर आप रोजाना सुबह आधे घंटे का समय निकालकर रियाज करेंगे तो आपकी सुरों की समझ भी बेहतर हो जाएगी।
इसका मतलब यह है कि आप मध्य सप्तक के 'स' से लेकर तार सप्तक के 'सं' तक, सभी सुरों की पकड़ को सुधार सकेंगे।
इससे गाते वक्त आप कभी भी बेसुरे नहीं होंगे और सभी 7 सुरों को केवल सुनकर पहचान सकेंगे। साथ ही इसके जरिए तार सप्तक के सुरों को छूना आसान हो जाएगा।
#3
सांस लेने की तकनीक में होता है सुधार
सुबह का रियाज सांस लेने की तकनीक को भी बेहतर बना देता है। गाते वक्त अपने पेट में गहरी सांस भरनी चाहिए और जितना हो सके, उसे उतना खींचते हुए गाना चाहिए।
इससे फेफड़ों की क्षमता बढ़ सकती है और आवाज में स्थिरता आ सकती है। पेट से सांस लेना सीखें, ताकि आपकी आवाज मजबूत और स्पष्ट निकले।
यह अभ्यास आपके गले पर दबाव कम करता है और लंबे समय तक गाने या बोलने में मदद करता है।
#4
तनाव से मिलता है छुटकारा
सुबह उठकर रियाज करने से आपकी आवाज तो मधुर होगी ही, साथ ही साथ आपका मानसिक स्वास्थ्य भी सुधर जाएगा।
संगीत का मन और शरीर पर शांत और आरामदेह प्रभाव पड़ता है। सुबह का रियाज तनाव और चिंता को कम करने और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
इसके जरिए सभी नकारात्मक ख्याल मन से निकल जाते हैं और शरीर में सकारात्मकता की भावना भर जाती है।
#5
मन्द्र सप्तक में गाना हो जाता है आसान
शास्त्रीय संगीत में कुल 3 सप्तक होते हैं, जिन्हें मन्द्र सप्तक, मध्य सप्तक और तार सप्तक कहा जाता है। इनमें से सबसे कठिन होता है मन्द्र सप्तक, जिसके सभी सुर मध्य सप्तक से नीचे के होते हैं।
सुबह जल्दी उठकर आम तौर पर लोग खरज का रियाज करते हैं, जिससे नीचे के सुरों में गाना आसान हो जाता है। यह अभ्यास आवाज को स्थिर करने और मंद्र सप्तक पर नियंत्रण विकसित करने के लिए किया जाता है।