प्राचीन सभ्यताओं में की जाती थी इन जानवरों की अराधना, आज भी कुछ हैं पूजनीय
क्या है खबर?
आज के समय में इंसान अपने आपको जानवरों से बेहतर मानता है। हालांकि, एक वक्त ऐसा भी था, जब धरती पर मौजूद कुछ पशुओं को पूजनीय माना जाता था।
पौराणिक समय में कुछ जानवरों की पूजा की जाती थी। माना जाता था कि उनमें दिव्य शक्तियां होती थीं और वे आध्यात्मिकता और सांस्कृती का प्रतीक हुआ करते थे।
लोग इनकी मूर्तियां बनाकर घरों में स्थापित करते थे। आइए ऐसे 5 जानवरों के बारे में जानते हैं।
#1
काले कौवे
भारत समेत कई देशों में काले कौवे को दुर्भाग्य का प्रतीक माना जाता है। हालांकि, इस पक्षी को स्कैंडिनेवियाई पौराणिक कथाओं में पूजनीय मानते हैं।
उनके देवता ओडिन के पास 2 काले कौवे हुआ करते थे, जिनका नाम हुगीन (सोच) और मुनिन (यादें) था। ये दोनों रोजाना धरती का चक्कर लगाते थे और देवता को सारी जानकारी देते थे।
उन्हें बुद्धिमान पर्यवेक्षक, योद्धाओं के रक्षक और मार्गदर्शक माना जाता था।
#2
बिल्लियां
मिस्र की सभ्यता में बिल्लियों को केवल पालतू जानवरों का नहीं, बल्कि भगवान का दर्जा दिया जाता था।
इस देश में बास्टेट नाम की देवी हुआ करती थीं, जो बिल्ली की तरह दिखती थीं। उन्हें घरों की रक्षक और प्रजनन क्षमता लाने वाली देवी माना जाता था।
ऐसा माना जाता था कि बिल्लियां बुरी आत्माओं और बीमारियों को दूर भगाती हैं। कई परिवार अपनी बिल्लियों के मरने के बाद उनकी ममी बनवाया करते थे।
#3
भेड़िए
रोम के इतिहास में भेड़ियों का खास महत्त्व है और उन्हें पूजनीय माना जाता है। कहते हैं कि एक मादा भेड़िए के कारण ही यह शहर बन सका था।
मान्यताओं के अनुसार, लूपा कैपिटोलिना नामक मादा भेड़िया ने रोमुलस और रेमस का पालन-पोषण किया था। ये दोनों जुड़वा भाई थे, जो इस शहर के संस्थापक थे।
तभी से भेड़िए को सुरक्षा, शक्ति और वफादारी का प्रतीक माना जाने लगा। रोम में आज भी लूपा की प्रतिमाएं दिखाई देती हैं।
#4
शेर
हमारे देश में शेर को दुर्गा माता का वाहन मानकर पूजा जाता है। हालांकि, यह शक्तिशाली जानवर एक अन्य सभ्यता में भी देव समान माना जाता है।
प्राचीन फारस में शेरों को ताकत, साहस और कुलीनता का प्रतीक कहा जाता था। वे सूर्य देवता मिथ्रा से जुड़े थे और उन्हें दिव्य संरक्षक के रूप में देखा जाता था।
ये जानवर राजा के अधिकार और साम्राज्य की अडिग शक्ति का प्रतिनिधित्व करते थे।
#5
बंदर
भारत में बंदरों की पूजा रामायण काल से की जाती आई है, क्योंकि ये जानवर महाबली हनुमान के वंशज हैं।
शक्ति, निष्ठा और साहस का प्रतीक कहलाए जाने वाले वानर देवता हनुमान जी श्री राम को अति प्रिय हैं।
उनके वानर वंशज अक्सर मंदिरों के बाहर नजर आ जाते हैं और लोग उन्हें भोजन दे कर पुण्य कमाने का प्रयास करते हैं।
उनकी ऊर्जा और चतुराई मानवीय गुणों को दर्शाती है, जिससे वे और खास बन जाते हैं।