#NewsBytesExplainer: प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन दौरे से क्या रूस होगा नाराज?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूक्रेन दौरे पर हैं। वहां उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमीर जेलेंस्की के साथ मुलाकात की। यूक्रेन के बनने के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का ये पहला यूक्रेन दौरा है। प्रधानमंत्री का ये दौरा ऐसे वक्त हुआ है, जब यूक्रेन ने रूस पर हमले तेज कर दिए हैं। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि दौरे से भारत-रूस संबंधों पर असर पड़ सकता है। आइए जानते हैं ऐसा होने की कितनी संभावना है।
क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ?
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी ने सोशल मीडिया पर लिखा, "23 अगस्त को यूक्रेन दौरे पर जाना न सिर्फ खराब समय है, बल्कि इसका उद्देश्य भी साफ नहीं है। यूक्रेन के हालिया आक्रमण ने युद्धविराम की कोशिशों को झटका पहुंचाया है। यूक्रेन के आजाद होने के बाद कोई भारतीय प्रधानमंत्री वहां नहीं गया है। प्रधानमंत्री मोदी के यूक्रेन जाने की कोई ठोस वजह नहीं है, वो भी तब, जब यूक्रेन युद्ध के कारण तनाव बढ़ा हुआ है।"
क्या पश्चिमी देशों के दबाव के बाद हुआ दौरा?
प्रधानमंत्री मोदी के रूस दौरे पर यूक्रेन समेत पश्चिमी देशों ने आपत्ति जताई थी। माना जा रहा है कि रूस दौरे का संतुलन साधने के लिए मोदी ने यूक्रेन का दौरा किया है। इस पर विदेश मंत्रालय के सचिव तन्मय लाल ने कहा, "भारत के रूस और यूक्रेन से स्वतंत्र संबंध हैं, जिनका अपना अस्तित्व है। ये एक का फायदा, दूसरे का नुकसान जैसा मामला नहीं है। प्रधानमंत्री रूस दौरे पर भी गए थे।"
दौरे को क्यों संतुलन साधने की कोशिश कहा जा रहा है?
विदेश मंत्रालय ने प्रधानमंत्री की रूस यात्रा के बाद ही संकेत दिए थे कि वे यूक्रेन का दौरा भी कर सकते हैं। द हिन्दू के मुताबिक, विदेश मंत्रालय ने मोदी की रूस यात्रा से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कई कदम उठाए हैं। भारत में यूक्रेन के राजदूत विदेश मंत्रालय में एक बैठक में शामिल हुए थे। विदेशमंत्री एस जयशंकर ने यूक्रेनी विदेशमंत्री से फोन पर बात भी की थी।
क्या नाराज होगा रूस?
विशेषज्ञों का कहना है कि मोदी का यूक्रेन दौरा रूस को असहज कर सकता है, लेकिन ये ठीक वैसा ही है जैसा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के चीन दौरे से भारत महसूस करता है। इसके अलावा भारत दोनों देशों से स्पष्ट नीति के साथ संबंधों को आगे बढ़ा रहा है। एक तरफ भारत ने यूक्रेन पर रूस के हमले की कभी निंदा नहीं की है तो दूसरी तरफ यूक्रेन को मानवीय मदद भी पहुंचाता रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर क्या रही है भारत की नीति?
भारत रूस-यूक्रेन युद्ध में किसी का भी पक्ष लेता नहीं दिखाई देता है। अमेरिका समेत कई पश्चिमी देश यूक्रेन के साथ हैं और अप्रत्यक्ष तौर पर दूसरे देशों को भी यूक्रेन का साथ देने का दबाव डालते हैं। हालांकि, भारत ने दिखाया है कि वो दबाव में नहीं आएगा। G-20 सम्मेलन में भारत ने दबाव के बावजूद यूक्रेन को आमंत्रित नहीं किया था। संयुक्त राष्ट्र (UN) में रूस के खिलाफ लाए गए प्रस्तावों का भी भारत ने विरोध किया है।
वे मौके जब भारत ने रूस का साथ दिया
अक्टूबर, 2022 में UNSC में यूक्रेन के 4 इलाकों पर रूस के कब्जे और जनमत संग्रह के खिलाफ निंदा प्रस्ताव से भारत ने दूरी बनाई। जुलाई, 2024 में UN में रूस से युद्ध रोकने से संबंधित एक प्रस्ताव पर भारत ने मतदान नहीं किया। पश्चिमी देशों के विरोध के बावजूद भारत ने रूस से सस्ता कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। तब भारत ने कहा था कि वो अपने हितों को देखते हुए फैसले लेगा।