
भारत-चीन के बीच क्यों बढ़ रही है नजदीकी और क्या इससे अमेरिका को नुकसान होगा?
क्या है खबर?
हाल ही में चीनी विदेश मंत्री ने भारत का दौरा किया था और अब भारतीय प्रधानमंत्री चीन जाने की योजना बना रहे हैं। दोनों देशों में सीमा व्यापार समेत कई मुद्दों पर सहमति भी बनी है। भारत और चीन के इतनी जल्दी करीब आने की सबसे बड़ी वजह है अमेरिकी टैरिफ, जिसका सामना दोनों देश कर रहे हैं। आइए जानते हैं भारत-चीन की नजदीकी क्या अमेरिका को नुकसान पहुंचा सकती है।
संबंध
कैसे सुधर रहे भारत-चीन संबंध?
इसी हफ्ते चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, विदेश मंत्री एस जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजित डोभाल के साथ मुलाकात की। इस दौरान सीधी उड़ानें फिर से शुरू करने, वीजा, सीमा विवाद सुलझाने और सीमा व्यापार समेत कई मुद्दों पर सहमति बनी। इसी महीने के अंत में प्रधानमंत्री मोदी शंघाई सहयोग संगठन (SCO) शिखर सम्मेलन में शामिल होने चीन जाएंगे। वहां वे राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात करेंगे।
नजदीकी
भारत-चीन की नजदीकी पर क्या कह रहे हैं जानकार?
ताइवान-एशिया एक्सचेंज फाउंडेशन की फेलो सना हाशमी ने अल जजीरा से कहा, "भारत और चीन के बीच तनाव और मतभेदों को कम करने के प्रयास कुछ समय से चल रहे हैं। पिछले साल मोदी और शी ने रूस में बैठक कर संबंधों में आई दरार को कम किया था। हालांकि, टैरिफ पर ट्रंप की नीतियों और अमेरिका के पाकिस्तान के प्रति दृष्टिकोण ने भारत के पास चीन सहित विरोधियों की संख्या कम करने के अलावा कोई विकल्प नहीं छोड़ा है।"
भारत
भारत को क्या है फायदा?
हाशमी ने कहा कि चीन भारत को लुभाने की कोशिश कर रहा है और उसने संकेत दिया है कि वह भारतीय वस्तुओं के लिए ज्यादा बाजार पहुंच उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा, "इससे भारत को टैरिफ से कुछ राहत मिल सकती है और रणनीतिक व आर्थिक कमजोरियों का असर कम हो सकता है। इससे चीन के साथ भारत के मौजूदा व्यापार असंतुलन को कम करने में भी मदद मिल सकती है।"
चीन
चीन की क्या है रणनीति?
हाशमी ने कहा, "भारत हिंद-प्रशांत रणनीति का प्रमुख स्तंभ रहा है। इसलिए भारत के साथ संबंध चीन को यह दिखाने का मौका देंगे कि अमेरिका के बजाय वह विश्वसनीय साझेदार है।" वहीं, सिंगापुर विश्वविद्यालय के रिसर्च फेलो इवान लिडारेव ने अल जजीरा से कहा, "चीन को एहसास हो गया है कि उसने भारत को अमेरिका के करीब ला दिया है। भारत को भी एहसास हो गया है कि अमेरिका के साथ संबंधों की उसे काफी कीमत चुकानी पड़ रही है।"
नुकसान
अमेरिका को क्या है नुकसान?
JNU में चीनी अध्ययन के प्रोफेसर बीआर दीपक ने कहा, "भारत-चीन संबंधों में गर्मजोशी आने से वैश्विक संस्थाओं में चीन को अलग-थलग करने के अमेरिकी प्रयास जटिल हो जाएंगे। अगर भारत बहुपक्षीय सुधार, डी-डॉलरीकरण या जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर बीजिंग के साथ जुड़ता है, तो यह चीन के खिलाफ लोकतांत्रिक देशों को एकजुट करने की अमेरिकी प्रयासों को कमजोर करेगा। साथ ही यह एक वैकल्पिक वैश्विक व्यवस्था के लिए चीन के प्रयासों को वैधता प्रदान करेगा।"