उत्तर प्रदेश: संभल में सर्वेक्षण के दौरान मिली 1857 के विद्रोह के समय की बावड़ी
उत्तर प्रदेश के संभल में सर्वेक्षण के दौरान 1857 के विद्रोह के समय की 250 फुट गहरी एक बावड़ी मिली है। चंदौसी के लक्ष्मणगंज इलाके में खुदाई के दौरान इसका पता चला है। चंदौसी नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी कृष्ण कुमार सोनकर ने बताया कि बावड़ी 125 से 150 साल पुरानी है और करीब 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में फैली है। बता दें, संभल में 13 दिसंबर को 43 साल से बंद भस्म शंकर मंदिर का भी पता चला था।
कब हुआ था बावड़ी का निर्माण?
संभल के जिला मजिस्ट्रेट राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि अब तक सामने आई जानकारी के अनुसार, इस बावड़ी का निर्माण बिलारी के राजा के नाना के शासनकाल में हुआ था। अब इस स्थल पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सर्वेक्षण की संभावना पर विचार किया जा रहा है। अगर, आवश्यक हुआ तो ASI से अनुरोध किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह स्थल पहले तालाब के रूप में पंजीकृत था। इसमें 4 कमरे और एक कुआं भी है।
बावड़ी में जारी रहेगा खुदाई कार्य
पेंसिया ने बताया कि बावड़ी में खुदाई के तहत अब तक 210 वर्ग मीटर क्षेत्र उजागर हो चुका है। अभी खुदाई जारी रखी जाएगी और क्षेत्र में अतिक्रमण भी हटाया जाएगा। प्रारंभिक अनुमानों से पता चलता है कि यह बावड़ी लगभग 125 से 150 वर्ष पुरानी है।" स्थानीय लोगों और ऐतिहासिक विवरणों के अनुसार, यह बावड़ी 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के समय की है। लोगों ने जिला मजिस्ट्रेट से इस स्थल का सौंदर्यीकरण कराने की मांग की है।