देश में इंफ्लुएंजा H3N2 वायरस से दो की मौत, अब तक 90 मामले आए सामने
देश में वायरल बुखार के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इसी बीच कर्नाटक और हरियाणा में H3N2 वायरस की चपेट में आकर 2 लोगों की मौत होने की खबर आ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, देश में H3N2 वायरस के लगभग 90 मामले सामने आए हैं, जबकि H1N1 वायरस के 8 मामले भी सामने आ चुके हैं। मंत्रालय ने कहा कि इंफ्लुएंजा H3N2 कोरोना वायरस की तरह फैलता है।
क्या है H3N2 वायरस?
H3N2 वायरस की इंसानों में पहली बार पहचान जुलाई, 2011 में हुई थी। इससे पहले 2010 में ये सूअरों में पाया गया था। इसे 'हांगकांग फ्लू' के नाम से भी जाना जाता है। 2012 में पहली बार इस वायरस की वजह से बड़े पैमाने पर लोग संक्रमित हुए थे। तब 309 लोग इस वायरस की चपेट में आ गए थे, जिनमें से 16 को अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था और एक की मौत हो गई थी।
क्या हैं इंफ्लुएंजा H3N2 के लक्षण?
चिकित्सकों का कहना है कि इंफ्लुएंजा H3N2 से ग्रसित मरीजों को गले में खराश, खांसी, शरीर में दर्द और नाक बहने की शिकायत होती है और यह वायरस तेजी से म्यूटेट हुआ है, जिसके कारण इसके खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई है। उनके मुताबिक, H1N1 की वजह से कई साल पहले महामारी फैली और H3N2 उसी वायरस का स्ट्रेन है, जो एक सामान्य इंफ्लुएंजा स्ट्रेन ही है। कम प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों में यह संक्रमण फैल रहा है।
हर साल थोड़ा-थोड़ा म्यूटेट होता है H3N2 वायरस- विशेषज्ञ
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के मुताबिक, H3N2 वायरस इंफ्लुएंजा वायरस के एक परिवार से आता है, जो अपने विभिन्न उपप्रकारों के आधार पर म्यूटेट होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस हर साल थोड़ा बदलता है, जिसे एंटीजेनिक ड्रिफ्ट के रूप में जाना जाता है। उन्हें नहीं लगता कि यह कोई चिंता का कारण है क्योंकि मामलों में वृद्धि तो हुई है, लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या कम है।
भारत में क्यों बढ़ रहे हैं वायरल बुखार के मामले?
भारत में जो बुखार के मामले बढ़ रहे हैं, इसके पीछे IMA ने H3N2 वायरस को जिम्मेदार बताया है, जो इंफ्लुएंजा A का ही एक प्रकार है। IMA ने कहा कि अक्टूबर से फरवरी के बीच इंफ्लुएंजा और दूसरे वायरस की वजह से इस तरह का बुखार आना सामान्य है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, इंफ्लुएंजा वायरस 4 तरह के होते हैं- A, B, C और D। इनमें से A और B वायरस एक विशेष सीजन में फैलते हैं।
H3N2 वायरस से किन्हें है खतरा?
IMA ने बताया कि 50 से ज्यादा और 15 साल से कम उम्र के लोगों में इस तरह के लक्षण ज्यादा देखने को मिल सकते हैं। चिकित्सों का कहना है कि स्कूल जाने वाले बच्चे भी इस इंफ्लुएंजा की चपेट में आ सकते हैं। अस्थमा, डायबिटीज और हृदय रोग से जूझ रहे बुजुर्ग लोगों के भी संक्रमित होने का खतरा ज्यादा है। उन्होंने बुजुर्गों को विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी है।
एंटीबायोटिक दवाओं के इस्तेमाल से बचें- IMA
IMA ने डॉक्टरों को सलाह देते हुए कहा है कि वे मौसमी बुखार के लिए मरीजों को एंटीबायोटिक दवाएं लिखने से बचें। यह एंटीबायोटिक प्रतिरोध को बढ़ाता है, यानी जब बीमारी से लड़ने के लिए इसकी जरूरत होगी, तब यह काम नहीं कर पाएगी।
संक्रमित होने से कैसे बचा जा सकता है?
चिकित्सों को कहना है कि संक्रमण से बचने के लिए अपने हाथों को बार-बार साबुन से धोएं। घर में किसी को बुखार, सर्दी, खांसी होने पर उनसे दूरी बनाएं रखें। बार-बार नाक और मुंह को छूने से बचें। खांसते और छींकते समय मुंह को ढकें। इसके अलावा संक्रमित मरीजों से दूरी बनाएं और भीड़ भाड़ वाली जगहों पर जाने के लिए मास्क का इस्तेमाल करें। संक्रमण होने की स्थिति में चिकित्सों की सलाह पर ही कोई दवा लें।