सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने वाले सैन्य अधिकारी बोले- सेना को हमेशा से थी खुली छूट
सर्जिकल स्ट्राइक की योजना बनाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) डीएस हुड्डा ने कहा कि सेना को हमेशा से जवाबी कार्रवाई करने की खुली छूट थी। गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक कर बड़ा राजनीतिक संकल्प दिखाया है, लेकिन पहले भी सेना को जवाब देने की छूट थी। बता दें, भाजपा कांग्रेस पर इसी बात को लेकर हमलावर रहती है कि उसने सेना को कार्रवाई की छूट नहीं दी थी।
1947 से सेना को खुली छूट- डीएस हुड्डा
भारतीय सेना की नॉर्दन कोर के कमांडर रहे लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा ने कहा कि 1947 से सीमा पर सेना आजाद है और इसने तीन-चार युद्ध लड़े हैं। उन्होंने कहा, "नियंत्रण रेखा खतरनाक जगह है। अगर आपके ऊपर फायरिंग हो रही है तो सैनिक इसका तुरंत जवाब देंगे। वे मुझसे भी नहीं पूछेंगे। अनुमति लेने का कोई सवाल नहीं है। सेना को खुली छूट दी गई है।" उन्होंने कहा कि पहले भी सेना के हाथ बंधे हुए नहीं थे।
उरी हमले से पहले मिली थी स्पेशल फोर्स को स्ट्राइक की ट्रेनिंग
पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल डीएस हुड्डा ने कहा है कि उरी हमले से सालभर पहले स्पेशल फोर्स को सर्जिकल स्ट्राइक की ट्रेनिंग दी गई थी। बता दें, भारत की स्पेशल फोर्स ने उरी हमले के बाद नियंत्रण रेखा के पार जाकर आंतकियों को उड़ाया था।
'उरी हमले के बाद जवाब देने का मन बनाया'
उन्होंने कहा, "मैं उस शाम चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ के साथ था और हम तंबुओं की राख की चार इंच मोटी परत से गुजरते हुए कह रहे थे कि हमें कुछ करना है। हम इसे ऐसे जाने नहीं दे सकते। जब हम विकल्पों के बारे में बात कर रहे थे, तब हमें इस बात ने मदद की कि पिछले एक साल से हम ऐसी स्थिति के लिए ट्रेनिंग में लगे थे। हम नहीं जानते थे कि यह मौका कब आएगा।"
सर्जिकल स्ट्राइक के चुनावी इस्तेमाल के खिलाफ रहे हैं डीएस हुड्डा
सेना से रिटायरमेंट के बाद कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा पर टास्क फोर्स का नेतृत्व कर रहे डीएस हुड्डा चुनावी फायदे के लिए सर्जिकल स्ट्राइक के प्रचार के खिलाफ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि सर्जिकल स्ट्राइक जरूरी था, लेकिन इसका ज्यादा प्रचार नहीं होना चाहिए। बता दें, पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल हुड्डा तब नॉर्दन कोर के कमांडर थे, जब स्पेशल फोर्स ने सीमा पार जाकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया था।