ऋषि कुमार शुक्ला होंगे CBI के नए निदेशक, आलोक वर्मा की लेंगे जगह
केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) में पिछले साल अक्टूबर से चले आ रहे विवादों को विराम देते हुए सरकार ने शनिवार को वरिष्ठ IPS अधिकारी ऋषि कुमार शुक्ला को CBI निदेशक बनाने की घोषणा की। बता दें कि शुक्रवार को हुई बैठक में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सरकार द्वारा पेश नामों पर आपत्ति जताई थी। अब प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति ने ऋषि कुमार की पद पर नियुक्ति की है। उनकी नियुक्ति 2 साल के लिए हुई है।
सरकार ने की नए CBI प्रमुख के नाम की घोषणा
1983 बैच के अधिकारी हैं नए CBI प्रमुख
चयन समिति में प्रधानमंत्री मोदी और खड़गे के अलावा तीसरे सदस्य सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई थे। ऋषि कुमार 1983 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के अधिकारी हैं। वह भाजपा सरकार के समय मध्य प्रदेश पुलिस के DGP रह चुके हैं। हाल ही में मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने उन्हें इस पद से हटाते हुए उनका तबादला मध्य प्रदेश पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के चेयरमैन के पद पर कर दिया था।
10 जनवरी से खाली था पद
CBI निदेशक का पद 10 जनवरी को आलोक वर्मा को पद से हटाए जाने के बाद से खाली था। तभी से एम नागेश्वर राव अंतरिम CBI प्रमुख के तौर पर काम कर रहे थे। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सरकार से सवाल पूछा था कि उसने अभी तक CBI निदेशक की नियुक्ति क्यों नहीं की। कोर्ट ने सरकार से कहा था कि यह संवेदनशील और महत्वपूर्ण पद है और इस पर लंबे समय तक अंतरिम निदेशक रखना अच्छा नहीं है।
कांग्रेस ने जताई थी नामों पर आपत्ति
चयन समिति मुद्दे पर 2 बार बैठक की। 24 जनवरी को हुई पहली बैठक का कोई नतीजा नहीं निकला। शुक्रवार को हुई दूसरी बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ अधिकारियों के नाम आगे बढ़ाए थे। खड़गे ने प्रधानमंत्री द्वारा पेश नामों पर आपत्ति जताई थी। बता दें कि खड़गे ने ऋषि से पहले CBI प्रमुख रहे आलोक वर्मा की नियुक्ति के समय भी आपत्ति जताई थी। यही नहीं, उन्होंने वर्मा की बर्खास्तगी का भी विरोध किया था।
अस्थाना-वर्मा के बीच लड़ाई से शुरु हुआ था CBI विवाद
CBI विवाद की शुरुआत निदेशक आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के बीच सार्वजनिक झगड़े से हुई थी। वर्मा ने अस्थाना के खिलाफ CBI ऑफिस में रेड करा दी थी। अस्थाना ने भी CVC से वर्मा के भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। विवाद में सरकार ने आधी रात को फैसला लेते हुए दोनों अधिकारियों को छुट्टी पर भेज दिया था और एम नागेश्वर राव को CBI का अंतरिम प्रमुख बनाया दिया था।
अक्टूबर से चला आ रहा है CBI विवाद
इसके बाद अक्टूबर में सरकार ने CVC की सिफारिश पर आलोक वर्मा को CBI निदेशक के पद से हटा दिया था। CVC ने अपनी रिपोर्ट में वर्मा पर भ्रष्टाचार के आरोपों को पुख्ता पाया था। वर्मा ने फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जिसने बर्खास्तगी के तरीके को सही नहीं पाया और उन्हें बहाल कर दिया। 10 जनवरी को चयन समिति ने बैठक करते हुए 2-1 के बहुमत के फैसले से वर्मा को पद से हटा दिया था।