कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला, हिंदुओं में 18 साल से कम उम्र में शादी अमान्य नहीं
कर्नाटक हाई कोर्ट ने कहा है कि यदि वधू की उम्र 18 साल से कम हो तो भी हिंदू विवाह अधिनियम में शादी को अमान्य करार नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस आलोक अराधे और जस्टिस विश्वजीत शेट्टी की बेंच ने कहा, "यह स्पष्ट है कि अधिनियम की धारा 5 के खंड (3), जिसमें प्रावधान है कि विवाह के समय लड़की की उम्र 18 साल होनी चाहिए, के दायरे में अधिनियम की धारा 11 नहीं आती है।"
क्या था मामला?
कर्नाटक की एक फैमिली कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने अपनी विवाह को अमान्य घोषित करने को लेकर एक याचिका दायर की थी। इसमें उसने कहा था कि 5 जून, 2012 को उसकी शादी शीला नाम की एक लड़की से हुई थी और शादी के दिन लड़की की उम्र 18 साल नहीं थी। फैमिली कोर्ट ने 8 जनवरी, 2015 को शादी रद्द करने का आदेश दिया था। इसे शीला ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
कोर्ट ने किस आधार पर शादी को बताया मान्य?
शीला ने 8 जनवरी, 2015 को दिए गए फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की। शीला की अपील को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 11 के अंतर्गत विवाह को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता। फैमिली कोर्ट ने इस शादी को अमान्य घोषित करने के लिए धारा 11 का हवाला दिया था, लेकिन हाई कोर्ट ने इसे गलत करार दिया।
कोर्ट ने क्या कहा?
हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 (3) के अनुसार शादी के समय लड़के की उम्र 21 और लड़की की 18 साल होनी चाहिए, लेकिन आयु तय करने वाले इस नियम को अधिनियम की धारा 11 से बाहर रखा गया है। कोर्ट ने कहा कि निचली कोर्ट का आदेश विषय के उपरोक्त पहलू पर गौर करने में नाकाम रहा है, इसलिए इस मामले में विवाह को अमान्य घोषित नहीं किया जा सकता।
शादी के लिए अभी क्या है कानून?
अभी हिंदू शादी अधिनियम, 1955 की धारा 5(3) में लड़कियों की शादी की उम्र न्यूनतम 18 वर्ष और लड़कों की शादी की उम्र न्यूनतम 21 वर्ष तय की गई है। विशेष विवाह अधिनियम, 1954 और बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 में भी यही उम्र है।