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पाबंदियों के बीच दिल्ली के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 32 कश्मीरी लड़कियों को पहुंचाया उनके घर

पाबंदियों के बीच दिल्ली के सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 32 कश्मीरी लड़कियों को पहुंचाया उनके घर

Aug 20, 2019
07:30 pm

क्या है खबर?

सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों के कारण जब जम्मू-कश्मीर पूरी दुनिया से कटा हुआ था, तब दिल्ली के एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर ने 32 कश्मीरी लड़कियों को उनके घर पहुंचाकर इंसानियत की शानदार मिसाल पेश की है। बता दें कि अनुच्छेद 370 पर केंद्र सरकार के फैसले के कारण जम्मू-कश्मीर में कई पाबंदियां लगाई गईं थीं, जिनके कारण बाहर रह रहे राज्य के लोग अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहे थे। आइए आपको पूरा मामला बताते हैं।

संपर्क

ऐसे संपर्क में आए इंजीनियर और कश्मीरी लड़कियां

5 अगस्त को अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले के बाद दिल्ली के रहने वाले सॉफ्टवेयर इंजीनियर हरमिंदर सिंह आहलूवालिया ने फेसबुक लाइव में कहा कि राज्य से बाहर रह रहे जो कश्मीरी असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, वो उन्हें संपर्क कर सकते हैं या पास के किसी गुरुद्वारे में शरण ले सकते हैं। उनका ये वीडियो वायरल हो गया, जिसके बाद पुणे में रह रही कश्मीर की 32 लड़कियों ने उनसे संपर्क किया।

बातचीत

नर्सिंग ट्रेनिंग के लिए पुणे आईं थीं लड़कियां

हरमिंदर ने 'इंडियन एक्सप्रेस' को फोन पर बताया, "मुझे रुकाया नामक महिला का फोन आया और उसने मुझे बताया कि वहां 32 कश्मीरी लड़कियां हैं जो सामान्य परिवारों से संबंध रखती हैं और कश्मीर में सरकार के फैसले के बाद घर जाने का इंतजार कर रही हैं।" 17 से 22 साल की उम्र की ये लड़कियां नर्सिंग ट्रेनिंग के लिए पुणे आईं थीं। हरमिंदर ने बताया कि पाबंदियों के कारण लड़कियां अपने परिजनों से संपर्क नहीं कर पा रहीं थीं।

श्रीनगर जाने का खर्च

दोबारा फेसबुक लाइव कर मांगा यात्रा के लिए चंदा

इसके बाद हरमिंदर और उनके सहयोगियों ने राज्य सरकार को संपर्क किया, जिसने लड़कियों के श्रीनगर पहुंचने के बाद सेना से मदद का आश्वासन दिया। लेकिन लड़कियों के पास श्रीनगर जाने लायक पैसे नहीं थे। तब हरमिंदर ने 8 अगस्त को एक और फेसबुक लाइव किया जिसमें उसने लड़कियों की मदद के लिए चंदा मांगा। इसके बाद एक सिख व्यापारी ने हरमिंदर से संपर्क किया और सभी लड़कियों और चार वालंटियर्स के हवाई सफर का सारा खर्च उठाया।

बयान

"नहीं चाहता था फिर से हो पुलवामा मामले के बाद कश्मीरियों को निशाना बनाए जैसी घटनाएं"

9 अगस्त को सभी लड़कियां श्रीनगर पहुंची, जहां से सेना की मदद से उन्हें उनके घर पहुंचाया गया। पूरा वाक्या सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोग हरमिंदर की जमकर तारीफ कर रहे हैं। वहीं हरमिंदर का कहना है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद राज्य से बाहर रह रहे कश्मीरियों को निशाना बनाए जाने की घटनाएं सामने आईं थीं और वह नहीं चाहते थे कि लड़कियों के साथ भी ऐसा हो, इसलिए उन्होंने मदद करने का फैसला किया।

अन्य मामला

अकाल तख्त ने कहा था, कश्मीरी लड़कियों की रक्षा सिखों का धार्मिक कर्तव्य

बता दें कि जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म करने के बाद कई नेताओं ने कश्मीरी लड़कियों और महिलाओं को लेकर आपत्तिजनक बयान दिए थे। इन बयानों के बाद सिखों के सर्वोच्च धार्मिक पद अकाल तख्त जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने बयान जारी करते हुए कहा था कि कश्मीरी लड़कियों की रक्षा करना सभी सिखों का धार्मिक कर्तव्य है। बयान में कश्मीरी लड़कियों पर आपत्तिजनक बयानों की सख्त आलोचना की गई थी।