जम्मू-कश्मीर: देश विरोधी गतिविधियों के आरोप में नौकरी से निकाले जाएंगे 20 से अधिक और कर्मचारी
राष्ट्र विरोधी और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में 18 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल चुके जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने लगभग दो दर्जन और कर्मचारियों की सूची तैयार की है, जिन्हें आगामी हफ्तों में बाहर का रास्ता दिखाया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि इस सूची में 2-3 बड़े अधिकारियों के नाम भी शामिल है। खुफिया एजेंसियां इनकी फाइलें जांच रही हैं और जल्द ही इन्हें भी नौकरी से निकाला जा सकता है।
खुफिया एजेंसियां रख रही थीं गतिविधियों पर नजर
डेक्कन हेराल्ड ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि खुफिया एजेंसियों ने सूची में शामिल कर्मचारियों के राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के सबूत जुटा लिए हैं। सोशल मीडिया पर उनकी देश विरोधी अभियानों में संलिप्तता के स्क्रीनशॉट भी फाइलों के साथ जोड़े गए हैं। जानकारी के मुताबिक, खुफिया एजेंसियां लगातार इन कर्मचारियों की गतिविधियों पर नजर बनाए हुए थी। नौकरी जाने के डर से अब इनमें से कईयों ने सोशल मीडिया अकाउंट डिलीट कर दिए हैं।
10 जुलाई को निकाले गए थे 11 कर्मचारी
बीती 10 जुलाई को जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने 11 कर्मचारियों को निकालने के आदेश दिए थे। इन कर्मचारियों में आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन सरगना सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे और दो पुलिस कॉन्स्टेबल भी शामिल थे। अधिकारियों ने बताया कि बर्खास्त कर्मचारी शिक्षा, पुलिस, कौशल विकास, कृषि, बिजली स्वास्थ्य विभाग और शेर ए कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) से जुड़े हुए थे। इन्हें आतंकवाद का समर्थन करने और आतंकियों से संबंध के चलते निकाला गया था।
अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्त किए गए कर्मचारी
इससे पहले भी जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने एक नायब तहसीलदार, एक असिस्टेंट प्रोफेसर और दो शिक्षकों समेत सात लोगों को नौकरी से निकाला था। इन सब पर देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होने का आरोप है। जानकारी के लिए बता दें कि संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत इन कर्मचारियों को बर्खास्त किया गया है। इसके तहत कोई जांच नहीं होती और पीड़ित कर्मचारी फैसले के खिलाफ केवल हाई कोर्ट में अपील कर सकते हैं।
नई भर्तियों के लिए कड़े हुए नियम
नई सरकारी भर्तियों के लिए प्रशासन ने नियम कड़े कर दिए हैं। अब नियुक्ति से पहले सभी कर्मचारियों का CID द्वारा सत्यापन होगा। इस दौरान अगर कर्मचारी देश विरोधी या समाज विरोधी गतिविधि में शामिल पाया जाता है तो उसकी नियुक्ति रोकी जा सकती है।
पहले भी निकाले गए हैं कर्मचारी
यह पहली बार नहीं है जब जम्मू-कश्मीर में देश विरोधी गतिविधियों के कारण सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से निकाला जा रहा है। 1990 में जब यहां राष्ट्रपति शासन लगाया गया, तब जिन कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया, उनमें नईम अख्तर का नाम भी शामिल था, जो बाद में पीडीपी-भाजपा सरकार में मंत्री बने। इसके बाद 1995 और 2016 में भी कई कर्मचारियों को निकाला गया था। इनमें से कुछ को बाद में बहाल कर दिया गया।