भारतीय नौसेना को मिला INS निर्देशक, कितना ताकतवर है और क्या है खूबी?
समुद्र में भारत की ताकत और बढ़ गई है। भारतीय नौसेना को अपना दूसरा सर्वेक्षण पोत 'निर्देशक' मिल गया है। विशाखापत्तनम में रक्षा राज्य मंत्री संजय सेठ ने INS निर्देशक का जलावतरण किया। इस श्रेणी का पहला जहाज INS संध्याक इस साल 3 फरवरी को नौसेना में शामिल किया गया था। समुद्र में पड़ोसी देशों से मिल रही चुनौतियों के बीच नौसेना में INS निर्देशक का शामिल होना अहम माना जा रहा है। आइए इसकी खासियत जानते हैं।
कितना लंबा-चौड़ा है INS निर्देशक?
INS निर्देशक एक सर्वे जहाज है, जिसे सर्वे वेसल लार्ज (SVL) भी कहा जाता है। 110 मीटर लंबे और 16 मीटर चौड़े इस जहाज का विस्थापन 3,400 टन है। 2 डीजल इंजन से चलने वाला ये जहाज पानी पर अधिकतम 33 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकता है। आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत, इस जहाज का निर्माण कोलकाता के गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) द्वारा किया गया है।
जहाज में 80 प्रतिशत स्वेदशी पुर्जे
फाइनेंशियल एक्सप्रेस के अनुसार, जहाज में भारतीय मूल उपकरण निर्माता और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों जैसे भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL), इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ECIL) और भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) द्वारा स्थानीय रूप से निर्मित पुर्जे और उपकरण लगाए गए हैं। ये जहाज करीब 3 दशकों तक नौसेना में रहे निर्देशक का ही उन्नत संस्करण है, जिसे 19 दिसंबर, 2014 को सेवामुक्त कर दिया गया था।
क्या है खासियत?
हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने के लिए बनाया गया यह जहाज अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक और समुद्र विज्ञान उपकरणों से लैस है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसमें मल्टी-बीम इको साउंडर (MBES), ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल (AUV), रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल (ROV) और उन्नत संचार प्रणाली लगी हुई है। नौसेना के प्रवक्ता ने कहा, "समुद्र में 25 दिनों से ज्यादा समय तक टिके रहने और 33 किलोमीटर प्रति घंटे की अधिकतम गति के साथ, INS निर्देशक भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ाने के लिए तैयार है।"
भारत के लिए कितना अहम?
वैसे तो जहाज का मुख्य काम सर्वे का है, लेकिन यह नौवहन और समुद्री परिचालन में भी सहायता करेगा। द हिन्दू के अनुसार, INS निर्देशक की लंबी दूरी भारत की परिचालन पहुंच को बढ़ाएगी, जिससे जहाजों को हिंद महासागर के दूरदराज क्षेत्रों और मालदीव-सेशेल्स के आसपास के जलक्षेत्रों में काम करने में मदद मिलेगी। नौसेना की पूर्वी कमान के मुताबिक, यह जहाज न केवल राष्ट्रीय सर्वेक्षण बेड़े को बढ़ाएगा, बल्कि हिंद महासागर में भारत की प्रतिष्ठा को भी प्रमाणित करेगा।