भारत ने अत्यधिक गरीबी को खत्म किया, जानें क्या कहते हैं नए आंकड़े
क्या है खबर?
आर्थिक मोर्चे पर देश के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। भारत ने आधिकारिक तौर पर अत्यधिक गरीबी को पूरी तरह खत्म कर दिया है। अमेरिका के थिंक टैंक ब्रूकिंग्स ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है।
अब देश की लगभग 3.4 करोड़ आबादी अत्यधिक गरीबी रेखा के नीचे रह रही है, जो कुल आबादी का 3 प्रतिशत से भी कम है। 2023 में यह आंकड़ा 4 करोड़ और 2022 में 4.6 करोड़ था।
गरीबी रेखा
गरीबी रेखा से बाहर आए लाखों लोग
हेडकाउंट पावर्टी रेशो (HCR) 2011-12 के मुकाबले 12.2 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2 प्रतिशत हो गया है। इसमें हर साल 0.93 प्रतिशत अंक की गिरावट आई है। HCR का मतलब गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाली आबादी से है।
आंकड़ों के मुताबिक, अब ग्रामीण इलाकों में गरीबी 2.5 प्रतिशत, जबकि शहरों में गरीबी घटकर एक प्रतिशत रह गई है। यह रिपोर्ट सुरजीत भल्ला और करण भसीन द्वारा लिखी गई है।
विकास दर
शहरों के मुकाबले ग्रामीण विकास दर ज्यादा
रिपोर्ट के मुताबिक, 2011-12 के मुकाबले प्रति व्यक्ति आय हर साल 2.9 प्रतिशत की दर से बढ़ी है। ग्रामीण इलाकों में शहरों के मुकाबले अधिक विकास हुआ है। ग्रामीण विकास दर 3.1 प्रतिशत तो शहरी विकास दर 2.6 प्रतिशत रही है।
आर्थिक असमानता बताने वाले गिनी इंडेक्स में भी बड़े बदलाव हुए हैं। शहरी इलाको में गिनी इंडेक्स 36.7 से घटकर 31.9 पर आ गया है, जबकि ग्रामीण गिनी 28.7 से घटकर 27.0 हो गया है।
विशेषज्ञ
आंकड़ों पर क्या बोले विशेषज्ञ?
प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद की शमिका रवि ने 'एक्स' लिखा, 'भारत में अब अत्यधिक गरीबी समाप्त हो गई है। वर्ल्ड पावर्टी क्लॉक भारत की अत्यधिक गरीबी 3 प्रतिशत से कम दिखाती है। यह हमारे जीवनकाल की सबसे महत्वपूर्ण वैश्विक घटनाओं में से एक है।'
रिपोर्ट में कहा गया है कि यह पुनर्वितरण पर सरकार की मजबूत नीति का परिणाम है, जिससे पिछले दशक में भारत में मजबूत समावेशी विकास हुआ है।
खर्च
ग्रामीण खर्च में हुई बढ़ोतरी
केंद्र सरकार द्वारा बीते हफ्ते जारी आंकड़ों के मुताबिक, भारतीय घरों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति खर्च (MPCE) 2011-12 के आधार पर शहरी परिवारों में 33.5 प्रतिशत बढ़कर 3,510 रुपये और ग्रामीण परिवारों में 40.42 प्रतिशत बढ़कर 2,008 रुपये पर तक पहुंच गया है।
बीते 18 सालों में ग्रामीण क्षेत्रों में औसत MPCE 6 गुना से ज्यादा बढ़ा है। साल 2004-05 में ग्रामीण खर्च 579 और शहरी खर्च 1,105 था।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
गरीबी रेखा वह न्यूनतम आय है, जो किसी व्यक्ति को जीवन की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए जरूरी होती है। यह हर देश में अलग-अलग होती है।
2011-12 में सुरेश तेंदुलकर पैनल की सिफारिशों में भारत में ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी रेखा 27 रुपये और शहरी क्षेत्रों में 33 रुपये प्रतिदिन निर्धारित की थी।
2014 में रंगराजन रिपोर्ट ने ग्रामीण क्षेत्रों में 32 रुपये और शहरों में 47 रुपये प्रतिदिन की गरीबी रेखा निर्धारित की है।