हिजाब विवाद मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट में पूरी हुई सुनवाई, फैसला सुरक्षित रखा
कर्नाटक में स्कूल और कॉलेजों में हिजाब पहनने को चल रहे विवाद के बीच कर्नाटक हाई कोर्ट की तीन जजों वाली पूर्ण पीठ ने शुक्रवार को सभी याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। उम्मीद है हाई कोर्ट अगले सप्ताह की शुरुआत में मामले में अपना फैसला सुना सकता है। इससे पहले हाई कोर्ट ने दोपहर में सुनवाई शुरू करते हुए दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें सुनी थीं।
हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को दिए जल्द दलीलें देने के निर्देश
दोपहर 02:30 बजे सुनवाई शुरू होने के साथ ही मुख्य न्यायाधीश जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली पीठ ने दोनों पक्षों को सुनवाई के लिए 4 बजे तक का समय देते हुए जल्द दलीलें पूरी करने के निर्देश दिए। इस पर याचिकाकर्ताओं के वकील यूसुफ मुछाला ने कहा कि याचिकाकर्ता हिजाब की अनुमति मांग रहे हैं। उनका कहना है कि उन्होंने सिर पर हिजाब पहना है न कि कपड़े से मुंह ढंका है। इसे इस्तेमाल करने की इजाजत मिलनी चाहिए।
याचिकाकर्ता के वकील ने दिया हदीस का हवाला
वकील मुछाला ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को हिजाब पहनने से रोकने का कॉलेज को अधिकार नहीं है। इसे आर्टिकल 25 के तहत स्वीकृत करना चाहिए। यह विचार करना जरूरी नहीं कि यह अनिवार्य धार्मिक अभ्यास है या नहीं। उन्होंने आगे कहा कि हदीस में भी कहा गया कि चेहरे को ढकना जरूरी नहीं है, लेकिन हिजाब जरूर पहनना चाहिए। कई ऐसी धार्मिक परंपराएं हैं जिसे सरकार ने अपने जवाब में स्वीकार भी किया है।
कोर्ट को हिजाब, खीमर और घूंघट को समझना चाहिए- मुछाला
वकील मुछाला ने कहा कि कोर्ट को पूछना चाहिए कि हिजाब, खीमर और घूंघट क्या है? कोर्ट को धार्मिक चर्चाओं को लेकर सतर्क रहना चाहिए और केवल यह देखना चाहिए कि क्या पूजा करने वालों की आस्था और विश्वास वास्तव में क्या है?
कोर्ट ने कही फैसला सुरक्षित रखने की बात
दलील सुनने के बाद मुख्य न्यायाधीश अवस्थी ने कहा कि पीठ ने पिछले 15 दिनों में मामले से जुड़ी सभी 11 याचिकाओं पर सुनवाई पूरी कर ली है। इसमें दोनों पक्षों की दलीलों पर गौर किया गया है और उनके धार्मिक विश्वास और सरकार के अधिकारों को समझने का प्रयास किया है। अब सभी याचिकाओं पर सुनवाई पूरी करने के फैसला सुरक्षित रख लिया गया है। ऐसे में अब मामले में अगले सप्ताह पूर्ण फैसला सुनाया जा सकता है।
हाई कोर्ट ने खारिज की मीडिया कवरेज पर रोक की याचिका
कोर्ट ने मामले में मीडिया कवरेज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा याचिकाकर्ता को पहले पुलिस या अन्य सक्षम मंच पर जाने और कार्रवाई नहीं होने पर कोर्ट आने की बात कही। इसके साथ याचिका खारिज कर दिया गया।
क्या है कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद?
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन किया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई छात्र विरोध में उतरने से यह उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया। 9 फरवरी को हाई कोर्ट मामले को तीन जजों वाली पूर्ण पीठ को रेफर कर दिया था। जिसके बाद लगातार सुनवाई हुई थीं।
हाई कोर्ट ने दिया था धार्मिक ड्रेस की जिद नहीं करने का आदेश
मामले में 10 फरवरी को पूर्ण पीठ ने छात्रों को फैसला आने तक धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद नहीं करने और सरकार को स्कूल और कॉलेजों को फिर से खोलने का अंतरिम आदेश दिया था। उसके बाद सरकार ने 14 फरवरी से 10वीं तक के स्कूल और 16 फरवरी से सभी कॉलेजों को फिर से खोल दिया था। हालांकि, उसके बाद भी कुछ छात्राएं हिजाब पनकर कॉलेज पहुंच रही थी। इसको लेकर आठ जिलों में धारा-144 लगाई गई थी।
सुनवाई में उठा था अनुच्छेद-25 और हिजाब अनिवार्यता का मुद्दा
इससे पहले हुई सुनवाई में कोर्ट में अनुच्छेद-25 और हिजाब अनिवार्यता का मुद्दा उठाया गया था। याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि हिजाब पर रोक का सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद-25 (धार्मिक स्वतंत्रता) का उल्लंघन है। राज्य किसी व्यक्ति की धार्मिक मान्यताओं पर सवाल नहीं उठा सकता और लोगों को अपने धर्म का पालन करने और प्रचार करने का पूर्ण अधिकार है। उस दौरान कोर्ट ने धार्मिक स्वतंत्रता के पूर्ण आदेशों के अध्ययन की बात कही थी।
कर्नाटक सरकार ने कही थी अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं करने की बात
इस मामले में पिछले शुक्रवार को कर्नाटक सरकार ने दलील दी थी कि हिजाब इस्लाम की आवश्यक धार्मिक प्रथा यानी अनिवार्य नहीं है और इसके उपयोग को रोकना भारतीय संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं करता है। सरकार का कहना था कि धर्म को शिक्षण संस्थानों से दूर रखा जाना चाहिए। मुस्लिम छात्राएं हिजाब पहनकर स्कूल कंपाउंड में आ सकती है, लेकिन क्लास के अंदर हिजाब पहनने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।