गुजरात: पथरी की जगह डॉक्टर ने निकाली थी मरीज की किड़नी, लगा 11 लाख का जुर्माना
गुजरात के महिसागर जिले में एक अस्पताल के डॉक्टर की लापरवाही से मरीज की मौत होने के मामले में उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने अस्पताल प्रशासन पर 11.23 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। आयोग ने अस्पताल को मरीज की सेहत के साथ खिलवाड़ करने और उसकी मौत के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए यह फैसला सुनाया है। आयोग ने अस्पताल प्रशासन ने 7.5 प्रतिशत वार्षिक ब्याज की दर से मुआवजा देने का आदेश दिया है।
पथरी के उपचार के लिए अस्पताल गया था मरीज
इंडिया टुडे के अनुसार, खेड़ा जिले में वांगरोली गांव निवासी देवेंद्रभाई रावल ने मई 2011 कमर दर्द और पेशाब करने में दिक्कत की शिकायत के बाद बालासिनोर कस्बे के KMG जनरल अस्पताल में डॉ शिवुभाई पटेल से संपर्क किया था। जांच में सामने आया कि उसकी किडनी में 15 मिलीमीटर की पथरी है। इस पर बेहतर इलाज के लिए सुविधाओं वाले अस्पताल में जाने का सुझाव दिया गया था, लेकिन उसने KMG अस्पताल में ही ऑपरेशन कराने की इच्छा जताई।
डॉक्टर ने पथरी की जगह निकाल दी किडनी
डॉक्टर के कहे अनुसार देवेंद्रभाई रावल 3 सितंबर, 2011 को KMG जनरल अस्पताल पहुंच गए और फिर उनका ऑपरेशन शुरू हो गया। कुछ देर बाद डॉक्टर ने बताया कि उन्होंने पथरी की जगह किडनी ही निकाल दी है। यह मरीज के स्वास्थ्य को ध्यान में रखकर ही किया गया निर्णय था। यह सुनकर देवेंद्रभाई के परिजन एक बार तो हक्के-बक्के रह गए, लेकिन बाद में डॉक्टर के सबकुछ सही होने का आश्वासन देने पर वह संतुष्ट हो गए।
जनवरी 2012 में हुई देवेंद्रभाई की मौत
पथरी के ऑपरेशन के बाद देवेंद्रभाई रावल को पेशाब करने में और भी ज्यादा परेशानी होने लग गई। हालत बिगड़ने पर परिजनों ने उन्हें पहले नाडियाड के किडनी अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन उनकी स्थिति और बिगड़ने बिगड़ने पर अस्पताल प्रशासन ने उन्हें अहमदाबाद के इंस्टीट्यूट ऑफ किडनी डिजीज एंड रिसर्च सेंटर (IKDRC) रैफर कर दिया। यहां भी उनकी सेहत में सुधार नहीं हुआ और 8 जनवरी, 2012 को उनकी मौत हो गई।
देवेंद्रभाई की पत्नी ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में दायर किया था परिवाद
मामले में अस्पताल की लापरवाही को देखते हुए देवेंद्रभाई रावल की पत्नी मीनाबेन ने नाडियाड के उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से परिवाद दायर किया था। इस पर सुनवाई के बाद आयोग ने चिकित्सीय लापरवाही के चलते साल 2012 में डॉक्टर, अस्पताल और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को 11.23 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया था, लेकिन इंश्योरेंस कंपनी ने इस घटना को क्लेम के दायरे में नहीं आना बताया था।
आयोग ने अस्पताल प्रशासन को दिया मुआवजा देने का आदेश
इंश्योरेंस कंपनी की अपील के बाद अब राज्य आयोग ने अस्पताल प्रशासन को मुआवजे का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। आयोग ने कहा कि इलाज करने वाले डॉक्टर द्वारा बरती गई चिकित्सीय लापरवाही के लिए इंश्योरेंस कंपनी जिम्मेदार नहीं है। अस्पताल न सिर्फ अपने कार्यों और चूक के लिए जिम्मेदार है, बल्कि उसके कर्मचारियों की लापरवाही के लिए भी जिम्मेदार है। ऐसे में अस्पताल को साल 2012 से अब तक 7.5 प्रतिशत ब्याज के साथ मुआवजा देना होगा।
बिना मंजूरी के किडनी निकालना है घोर लापरवाही- आयोग
आयोग ने कहा कि अस्पताल ने पथरी निकालने के लिए सर्जरी की थी और मरीज से पथरी निकालने के लिए ही रजामंदी ली थी, लेकिन उसकी किडनी निकाल दी गई। यह स्पष्ट तौर पर डॉक्टर और अस्पताल की घोर लापरवाही का मामला है।