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#MeToo: कोर्ट ने एमजे अकबर के मानहानि के दावे को किया खारिज, प्रिया रमानी हुई बरी

#MeToo: कोर्ट ने एमजे अकबर के मानहानि के दावे को किया खारिज, प्रिया रमानी हुई बरी

Feb 17, 2021
05:01 pm

क्या है खबर?

दिल्ली की एक अदालत ने #MeToo मामले में यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए जाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर की ओर से पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ दायर किए गए मानहानि के दावे को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही पत्रकार प्रिया रमानी को भी मामले से बरी कर दिया है। कोर्ट का यह फैसला एमजे अकबर के लिए बड़ा झटका है। कोर्ट में मामले में गत 1 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

प्रकरण

#MeToo अभियान के तहत रमानी ने अकबर पर लगाया था यौन उत्पीड़न का आरोप

बता दें कि साल 2018 में यौन उत्पीड़न के खिलाफ चले #Metoo अभियान के तहत पत्रकार रमानी ने एमजे अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। उन्होंने साल 2017 में वोग के लिए लिखे गए एक लेख में कहा था कि उन्हें नौकरी के साक्षात्कार के दौरान पूर्व बॉस द्वारा यौन उत्पीड़न का शिकार होना पड़ा था। एक साल बाद अभियान के तहत उन्होंने खुलासा किया था कि वह साक्षात्कार लेने वाले बॉस एमजे अकबर ही थे।

आरोप

20 महिलाओं ने लगाए थे अकबर पर आरोप

#Metoo अभियान के तहत रमानी द्वारा अकबर पर आरोप लगाने के बाद करीब 20 महिलाओं ने पत्रकार के तौर पर अकबर के नीचे काम करने के दौरान उनके द्वारा यौन उत्पीड़न किए जाने के आरोप लगाए थे। हालांकि, 15 अक्तूबर, 2018 को अकबर ने रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। इसके दो दिन बाद यानी 17 अक्तूबर, 2018 को उन्होंने केंद्रीय मंत्री के पद से भी इस्तीफा दे दिया था।

सुनवाई

कोर्ट ने गत 1 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था फैसला

मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट रवींद्र कुमार ने 1 फरवरी को मामले में अपना फैसला 10 फरवरी के लिए सुरक्षित रख लिया था। इसके बाद 10 फरवरी को भी फैसले को टाल दिया था। बुधवार को फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि पीड़िता को कई सालों तक यह पता नहीं था कि उसके साथ क्या हो रहा है। ऐसे में उसने अपराध का अहसास होने पर उसके खिलाफ आवाज उठाई है।

दलील

महिलाओं को सालों बाद भी शिकायत करने का है हक- कोर्ट

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार राउज एवेन्यू कोर्ट ने मामले में फैसला सुनाते हुए कहा, "यौन शोषण आत्मसम्मान और आत्मसम्मान को पूरी तरह से खत्म कर देता है। किसी व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा किसी के सम्मान की कीमत पर नहीं की जा सकती है।" कोर्ट ने आगे कहा, "एक महिला को सालों बाद भी शिकायत करने का हक है। एक ऐसा शख्स जिसकी सामाजिक प्रतिष्ठा अच्छी हो, वह भी किसी का यौन उत्पीड़न करने वाला भी हो सकता है।"

तर्क

यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की नहीं दी जा सकती सजा- कोर्ट

कोर्ट ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को अनुच्छेद 21 और समानता का अधिकार दिया गया है। ऐसे में रमानी को अपनी पसंद के किसी भी मंच में अपना मामला उजागर करने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने यौन शोषण के शिकार लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाते हुए कहा कि यौन शोषण के खिलाफ आवाज उठाने की सजा नहीं दी जा सकती है। समाज को यौन शोषण और उसके पीड़ितों पर उत्पीड़न के प्रभाव को समझना चाहिए।

दलील

मामले में पक्ष और विपक्ष ने दी यह दलील

मामले की सुनवाई के दौरान अकबर की वकील गीता लूथरा ने दलील दी थी कि यह मामला यौन उत्पीड़न का नहीं होकर अकबर की प्रतिष्ठा का है। इसके जवाब में प्रिया की वकील रबेका जॉन ने कहा था कि कोई व्यक्ति किसी महिला का यौन उत्पीड़न करने के बाद उच्च प्रतिष्ठा वाला कैसे हो सकता है। सिर्फ किताबें लिख देने से ही कोई व्यक्ति उच्च प्रतिष्ठा वाला नहीं हो सकता है। उसके लिए उच्च स्तरीय आचरण भी जरूरी है।

जानकारी

अकबर ने रमानी पर लगाए थे सुबूत नष्ट करने के आरोप

बता दें कि अकबर ने पिछले महीने सुनवाई के दौरान अपने वकील जरिए रमानी पर सुबूत नष्ट करने के आरोप लगाए थे। उन्होंने कहा था कि रमानी ने जानबूझकर और दुर्भावनापूर्वक अपने टि्वटर अकाउंट में उपलब्ध सुबूतों को डिलीट कर दिया था।