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वाराणसी के पान और लंगड़ा आम को मिला GI टैग, अब मिल सकेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान
वाराणसी के पान और लंगड़ा आम को मिला GI टैग (तस्वीर: unsplash)

वाराणसी के पान और लंगड़ा आम को मिला GI टैग, अब मिल सकेगी अंतरराष्ट्रीय पहचान

लेखन गजेंद्र
Apr 04, 2023
12:27 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश में वाराणसी के पान, लंगड़ा आम, रामनगर के भंटा (सफेद गोल बैंगन) और आदमचीनी चावल को जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी GI टैग मिल गया है। राज्य के अब तक 45 उत्पादों को GI टैग मिल चुका है। इसमें वाराणसी के 22 उत्पाद शामिल हैं। इनसे सालाना 25,500 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। इनके काम में 20 लाख लोग शामिल हैं। नाबार्ड के सहयोग से उत्तर प्रदेश के 20 उत्पादों को GI टैग के लिए आवेदन किया गया था।

उपलब्धि

क्या होता है GI टैग और इससे क्या होगा फायदा?

किसी भी उत्पाद की क्षेत्रीय पहचान होती है और जब यह मशहूर होने लगता है तो इसको प्रमाणित करने के लिए जिस प्रक्रिया का पालन किया जाता है, उसे GI टैग कहते हैं। इससे उत्पादों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्ताति मिलती है। संसद ने उत्पाद के रजिस्ट्रीकरण और संरक्षण को लेकर दिसंबर, 1999 में जियोग्राफिकल इंडिकेशन ऑफ गुड्स (पंजीकरण और संरक्षण) कानून, 1999 पारित किया, जिसे 2003 में लागू किया गया।