भोजशाला सर्वे: मंदिर या मस्जिद, ASI ने अपनी रिपोर्ट में क्या-क्या कहा?
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने सोमवार को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में धार जिले की विवादित भोजशाला-कमल मौला मस्जिद परिसर पर अपनी वैज्ञानिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश कर दी। इसमें उसने परिसर में कई ऐतिहासिक कलाकृतियों की खोज को दर्शाया है, जो विवादित परिसर के मंदिर पर स्थित होने का संकेत देते हैं। इस पूरे मामले पर कोर्ट में 22 जुलाई को फिर से सुनवाई होनी है। आइए जानते हैं रिपोर्ट में क्या कहा गया है।
सर्वेक्षण में मिले विभिन्न धातुओं के 31 सिक्के
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, ASI की रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण के दौरान चांदी, तांबे, एल्यूमीनियम और स्टील से बने कुल 31 सिक्के मिले हैं, जो विभिन्न कालखंडों के हैं। रिपोर्ट के अनुसार, ये सिक्के इंडो-ससैनियन (10वीं-11वीं सदी), दिल्ली सल्तनत (13वीं-14वीं सदी), मालवा सल्तनत (15वीं-16वीं सदी), मुगल सल्तनत (16वीं-18वीं सदी), धार राज्य (19वीं सदी) और ब्रिटिश काल (19वीं-20वीं शताब्दी) के हैं। इन सिक्कों की और जांच की जा रही है।
सर्वेक्षण में मिली 94 मूर्तियां और उनके अवशेष
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सर्वेक्षण में पूरे भोजशाला परिसर में कुल 94 मूर्तियां, उनके टुकड़े और वास्तुशिल्प तत्व भी मिले हैं। ये मूर्तियां बेसाल्ट, संगमरमर, शिस्ट, नरम पत्थर, बलुआ पत्थर और चूना पत्थर से बनी हैं। ये अवशेष भगवान गणेश, ब्रह्मा, नरसिम्हा, भैरव सहित अन्य देवी-देवताओं, मनुष्यों और जानवरों की आकृतियाँ दर्शाते हैं। जानवरों की आकृतियों में शेर, हाथी, घोड़े, कुत्ते, बंदर, सांप, कछुए, हंस और पक्षी शामिल हैं।
भोजशाला के मस्जिद वाले इलाकों में मिली सर्वाधिक मूर्तियां
रिपोर्ट में यह भी स्पष्ट किया गया है कि पौराणिक आकृतियों में कीर्तिमुख (शानदार चेहरे) और व्याल (मिश्रित जीव) के विभिन्न रूप शामिल हैं। इन आकृतियों में इंसानों और जानवरों की कई छवियों को भी विरूपित या उकेरा गया है। रिपोर्ट के अनुसार, सर्वेक्षण में मिली मूर्तियां, उनके टुकड़े और आकृतियां अधिकतर परिसर के मस्जिद वाले क्षेत्रों से प्राप्त हुई हैं। इसी तरह परिसर में इतिहास में मस्जिद होने के कोई पुख्ता सबूत भी नहीं मिले हैं।
वर्तमान संरचना के पुराने मंदिरों के स्थान पर बनाए जाने के संकेत
रिपोर्ट के अनुसार, वर्तमान संरचना में पाए गए कई ऐतिहासिक टुकड़ों में संस्कृत और प्राकृत शिलालेख हैं। एक शिलालेख में परमार वंश के राजा नरवर्मन (1094-1133 ईस्वी) का उल्लेख है। अन्य शिलालेखों में खिलजी शासक महमूद शाह का उल्लेख है, जिसने एक मंदिर को मस्जिद में बदल दिया था। सर्वेक्षण के अनुसार, भोजशाला राजा भोज द्वारा स्थापित एक शैक्षणिक केंद्र था। इससे वर्तमान संरचना के पहले के मंदिरों के हिस्सों पर बनाए जाने के संकेत मिलते हैं।
क्या है भोजशाला परिसर से जुड़ा पूरा विवाद?
11वीं सदी के स्मारक भोजशाला को हिंदू समुदाय वाग्देवी (देवी सरस्वती) का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमल मौला मस्जिद कहता है। हिंदुओं को पिछले 21 सालों से यहां मंगलवार को पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिम लोग शुक्रवार को नमाज अदा करते हैं। इस साल मार्च में हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस ने इस व्यवस्था को हाई कोर्ट की इंदौर पीठ में चुनौती देकर इसे मंदिर घोषित करने की मांग की थी।
हाई कोर्ट ने दिया था सर्वेक्षण का आदेश
मामले में हाई कोर्ट ने 11 मार्च को ASI को परिसर का वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके लिए उसे 6 सप्ताह का समय दिया गया था। इसके बाद ASI ने 22 मार्च को विवादित परिसर का सर्वेक्षण शुरू किया था जो हाल ही में समाप्त हुआ। इसके बाद 4 जुलाई को हाई कोर्ट ने ASI को विवादित स्मारक के परिसर में करीब 3 महीने चले सर्वे की रिपोर्ट 15 जुलाई तक पेश करने का आदेश दिया था।