आधार पेपरलेस ऑफलाइन e-KYC के बारे में यहाँ से लें पूरी जानकारी
कई सरकारी कल्याणकारी योजनाओं से जुड़ा होने की वजह से आपका आधार, आपके द्वारा धारण किए जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों में से एक है। इसके अलावा यह पहचान का एक महत्वपूर्ण प्रमाण है और कभी भी एवं कहीं भी काम आ सकता है। इन सेवाओं के लिए आधार e-KYC सुविधा मदद कर सकती है। अगर आप आधार पेपरलेस e-KYC सुविधा का इस्तेमाल करना चाहते हैं और भ्रमित हैं, तो यहाँ इसके बारे में विस्तार से जानें।
क्या है आधार ऑफलाइन e-KYC सेवा?
आधार पेपरलेस e-KYC एक सुरक्षित और साझा करने योग्य ऑफलाइन दस्तावेज़ है, जो आधार धारकों द्वारा आसान ऑफलाइन सत्यापन के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। जो लोग इस सुविधा का इस्तेमाल करना चाहते हैं, वो UIDAI रेसीडेंट पोर्टल पर अपने डिजिटल साइन किए आधार विवरण (जैसे नाम, लिंग, फोटो, जन्मतिथि, मोबाइल नंबर आदि) उत्पन्न कर सकते हैं। यह आधार नंबर को स्टोर किए बिना सेवा प्रदाताओं/ऑफलाइन सत्यापन सीकिंग इकाई को सत्यापन की सुविधा प्रदान करता है।
लोग e-KYC दस्तावेज़ सेवा प्रदाताओं से कैसे कर सकते हैं साझा?
UIDAI के अनुसार, लोग अपनी परस्पर सुविधा के अनुसार संबंधित सेवा प्रदाता को शेयर कोड के साथ XML ZIP फ़ाइल साझा कर सकते हैं। हालाँकि, ऐसे सेवा प्रदाता किसी भी अन्य एजेंसी/इकाई के साथ शेयर कोड या XML फ़ाइल या इसकी सामग्री को साझा, प्रकाशित या प्रदर्शित नहीं कर सकते हैं। जो भी इन नियमों का उलंघन करेगा, उसके ख़िलाफ़ आधार अधिनियम, 2016 के तहत उचित करवाई की जाएगी।
ऑफलाइन आधार कैसे जनरेट करें?
ऑफलाइन आधार जनरेट करने के लिए UIDAI वेबसाइट के ऑफलाइन KYC पेज पर जाएँ। इसके बाद वहाँ अपना आधार नंबर/VID और दिए गए स्थान पर सुरक्षा कोड दर्ज करें एवं 'Send OTP' पर क्लिक करें और प्राप्त OTP को दर्ज करें। अब अंत में शेयर कोड दर्ज करें, जो ZIP फ़ाइल के लिए आपके पासवर्ड के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा और 'Download' बटन पर क्लिक करें। अब ZIP फ़ाइल आपके डिवाइस में डाउनलोड हो जाएगी।
आधार को लेकर आम लोगों में भ्रम
आधार के प्रमाणीकरण से संबंधित 26 सितंबर, 2018 के सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद सेवाओं के संबंध में आम लोगों में काफ़ी भ्रम पैदा हो गया है कि कहाँ आधार ज़रूरी है और कहाँ इसकी ज़रूरत नहीं है। बैंक खाते, दूरसंचार सेवाओं और स्कूल प्रवेश/प्रवेश परीक्षा जैसी सेवाओं के लिए आधार अब अनिवार्य नहीं है। हालाँकि पैन कार्ड बनवाने, इनकम टैक्स रिटर्न दाख़िल करने और सरकारी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए यह अब भी ज़रूरी है।