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    स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते 71 प्रतिशत भारतीय- रिपोर्ट

    स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते 71 प्रतिशत भारतीय- रिपोर्ट
    लेखन गौतम भगत
    Jun 06, 2022, 10:00 pm 1 मिनट में पढ़ें
    स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते 71 प्रतिशत भारतीय- रिपोर्ट
    स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते 71 प्रतिशत भारतीय- रिपोर्ट (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    विज्ञान और पर्यावरण केंद्र और 'डाउन टू अर्थ' पत्रिका की एक रिपोर्ट में सामने आया है कि 71 प्रतिशत भारतीय स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकते हैं और देश में हर साल 17 लाख से अधिक लोग अप्रर्याप्त आहार के कारण होने वाली बीमारियों के कारण मर जाते हैं। 'भारत के पर्यावरण की स्थिति 2022' शीर्षक वाली इस रिपोर्ट के मुताबिक, वैश्विक स्तर पर दुनिया की 42 प्रतिशत आबादी स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकती।

    क्या कहती है रिपोर्ट?

    रिपोर्ट में कहा गया है कि एक औसत भारतीय जनता के आहार में पर्याप्त फल, सब्जियां, फलियां, नट्स और साबुत अनाज नहीं होते हैं। अप्रर्याप्त आहार खाने के कारण श्वसन संबंधी बीमारियां, मधुमेह, कैंसर, स्ट्रोक और कोरोनरी हृदय रोग हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन के अनुसार, जब आहार की लागत किसी व्यक्ति की आय के 63 प्रतिशत से अधिक हो जाती है तो माना जाता है कि वह स्वस्थ आहार का खर्च नहीं उठा सकता।

    फलों और सब्जियों के सेवन पर क्या कहती है रिपोर्ट?

    रिपोर्ट के अनुसार, 20 वर्ष या उस से अधिक के युवक भारत में एक दिन में केवल 35.8 ग्राम फल खा पाते है, जबकि एक दिन मेंं 200 ग्राम फल सेवन करने की सलाह दी गई है। इसी तरह एक व्यस्क एक दिन में केवल 168.7 ग्राम हरी सब्जियों का सेवन करता है, जबकि उसे एक दिन में 300 ग्राम हरी सब्जियों का सेवन करना चाहिए।

    क्या है खाद्य महंगाई का हाल?

    इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक साल में देश में खाने के सामानों की कीमत में 327 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। कुल महंगाई दर में 84 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। खाद्य महंगाई दर कुल महंगाई दर में ही शामिल होती हैं। बता दें कि अप्रैल में भारत की खुदरा महंगाई दर 7.79 प्रतिशत रही जो पिछले आठ सालों में सबसे अधिक है।

    "खाद्य पदार्थों के कारण हो रही महंगाई दर में सबसे अधिक वृद्धि"

    डाउन टू अर्थ के मैनेजिंग एडिटर रिचर्ड महापात्रा ने कहा कि खाद्य पदार्थों के कारण महंगाई दर में सबसे अधिक वृद्धि हो रही है। उन्होंने कहा, "उत्पादन की बढ़ती लागत, दुनियाभर में बढ़ती फसलों की कीमतें और खराब मौसम से पैदा होने वाली समस्याएं खाद्य महंगाई के मौजूदा उच्च स्तर के लिए जिम्मेदार हैं। CRISIL के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च-अप्रैल में शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों में खाद्य पदार्थों की कीमतों में अधिक वृद्धि हुई।"

    देश में कुपोषण की स्थिति बेहद खराब

    रिपोर्ट में कहा गया है कि देश में नागरिकों को स्वस्थ आहार नहीं मिल रहा जिसके कारण कुपोषण की स्थिति बेहद खराब है। इसके अलावा खाद्य और पर्यावरण दोनों के लिए वैश्विक लक्ष्यों को प्राप्त करने में भारत बहुत पीछे है।

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